प्रो. मदन मोहन गोयल
एआई-प्रधान युग में, मोबाइल और सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग ने युवाओं में डिजिटल लत की एक नई समस्या को जन्म दिया है। तकनीक ने भले ही अपार ज्ञान और संपर्क की संभावनाएं खोली हैं, लेकिन इसके अति प्रयोग ने सामाजिक अलगाव, भावनात्मक दूरी, और यहां तक कि ऑटिज़्म-सदृश व्यवहारिक विकारों को भी बढ़ावा दिया है। नीडोनॉमिक्स के सिद्धांत, जो ज़रूरत आधारित जीवन और जिम्मेदार उपभोग की वकालत करते हैं, के तहत अब डिजिटल उपवास और अभिभावकीय निगरानी को एक आवश्यक सामाजिक नीति के रूप में अपनाने की आवश्यकता है।
आज के युवा वर्चुअल दुनिया में इतने व्यस्त हैं कि स्क्रीन का समय वास्तविक सामाजिक सहभागिता से अधिक हो गया है। इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और गेमिंग ऐप्स युवाओं का ध्यान आकर्षित करने और डोपामिन प्रतिक्रिया को सक्रिय करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इसके दुष्परिणाम गंभीर हैं:
* मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे चिंता, अवसाद, और आत्म-सम्मान की कमी
* सहानुभूति और संवाद कौशल में कमी, जिससे व्यवहार ऑटिज़्म जैसा प्रतीत होता है
* परिवारिक संबंधों का टूटना, डिजिटल अलगाव के कारण
यह प्रवृत्तियाँ सामाजिक मूल्यों और व्यक्तिगत भलाई के क्षरण की चेतावनी देती हैं। ऐसे में हमें अपनी प्राथमिकताओं को “लालच नहीं, आवश्यकता” की सोच के साथ नीडोनॉमिक्स के दृष्टिकोण से पुनः परिभाषित करना होगा।
डिजिटल उपवास—अनावश्यक डिजिटल उपयोग से जानबूझकर दूर रहना—आज की आवश्यकता बन गया है। नीडोनॉमिक्स के अनुसार युवाओं को यह सिखाया जाना चाहिए कि तकनीक का उपयोग कहाँ आवश्यक है और कहाँ नहीं। उदाहरण के लिए:
* ऑनलाइन कक्षा के लिए स्मार्टफोन का उपयोग आवश्यकता है।
* घंटों तक सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करना लालच है।
सप्ताहांत, पारिवारिक भोजन, और सुबह-शाम के समय डिजिटल उपवास को प्रोत्साहित कर युवाओं को उनके समय और मानसिक स्थिति पर पुनः नियंत्रण दिया जा सकता है।
नीडोनॉमिक्स उत्तरदायी पालन-पोषण को बढ़ावा देता है, जिसमें परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। माता-पिता को चाहिए कि वे:
* स्पष्ट डिजिटल सीमाएँ तय करें और स्वयं आदर्श व्यवहार प्रस्तुत करें
* स्क्रीन समय ट्रैकिंग और सामग्री छँटाई के उपकरणों का उपयोग करें
* ऑफलाइन गतिविधियाँ जैसे पढ़ना, खेल, और सामाजिक सेवा को प्रोत्साहित करें
यह निगरानी जासूसी न होकर एक मूल्य-आधारित मार्गदर्शन होनी चाहिए, जो सहानुभूति और विश्वास पर आधारित हो।
नीतिगत सुझाव
सरकार, शैक्षणिक संस्थान, और नागरिक समाज को मिलकर इस डिजिटल संकट का समाधान खोजना होगा। कुछ प्रमुख नीतिगत सुझाव:
* डिजिटल भलाई शिक्षा को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल करना, जिसमें नीडोनॉमिक्स के आधार पर मीडिया साक्षरता और भावनात्मक समझ विकसित की जाए
* राष्ट्रीय डिजिटल उपवास दिवस मनाना, जिससे समाज पुनः वास्तविक जीवन से जुड़ सके
* अभिभावकों के लिए जागरूकता कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित करना, विशेषकर शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में
• तकनीकी कंपनियों के लिए कर प्रोत्साहन, जो आवश्यकता-आधारित, गैर-आसक्त करने वाले और नैतिक एआई उत्पाद विकसित करें
* युवा कल्याण सूचकांक विकसित करना, जो डिजिटल स्वास्थ्य को शैक्षणिक और शारीरिक प्रदर्शन के साथ मापेजब एआई युवाओं के व्यवहार को आकार दे रहे हैं, तब आवश्यकता-आधारित डिजिटल आदतों को पुनः स्थापित करना अनिवार्य हो गया है। नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट इस दिशा में एक नैतिक और समयानुकूल मार्गदर्शन प्रदान करता है। डिजिटल उपवास, अभिभावकीय मार्गदर्शन, और सामुदायिक जागरूकता के माध्यम से हम संतुलन बहाल कर सकते हैं और सुनिश्चित कर सकते हैं कि तकनीक मानवता की सेवा में रहे—ना कि मानव तकनीक का गुलाम बन जाए।
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