समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25मई। टेरर फंडिग केस में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को NIA अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके साथ-साथ कोर्ट ने यासीन मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अलगाववादी नेता को दो धाराओं में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. मलिक को IPC की धारा 121 (देश के खिलाफ जंग छेड़ना) और दूसरी UAPA की धारा 17 में यह सजा दी गई है।
यासीन मलिक को सजा सुनाए जाने के बीच कश्मीर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई और श्रीनगर में इंटरनेट सेवाओं को भी सस्पेंड कर दिया गया. उधर, यासीन मलिक के घर पर ड्रोन से नजर रखी जा रही है. यही नहीं दिल्ली में अदालत परिसर में भी सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी की गई थी और फैसले से पहले डॉग स्क्वॉड के जरिए निगरानी रखी गई.
सजा सुनाए जाने से पहले कोर्ट में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए. इससे पहले अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को यासीन मलिक ने स्वीकार कर लिया. मलिक ने कोर्ट में कहा कि 28 साल का मेरा राजनीतिक करियर रहा है. हिंसा की घटनाओं में शामिल होने की कोई बात साफ नहीं हुई है. मैं सजा में रियायत की मांग नहीं करूंगा. जो कोर्ट को उचित लगता है, वो सज़ा दे. मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का विरोध नहीं करता.
जुर्माने की डिटेल्स
IPC की धारा 120 बी के तहत 10 साल की सजा, 10 हजार का जुर्माना
धारा 121ए के तहत 10 वर्ष की सजा और 10 हजार का जुर्माना
13 यूएपीए के तहत 5 वर्ष और 15 यूएपीए के तहत 10 साल की सजा
17 यूएपीए के तहत उम्र कैद की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना
18 यूएपीए के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार का जुर्माना
20 यूएपीए के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार का जुर्माना
28, 39 यूएपीए के तहत 5 साल की सजा और 5 हजार का जुर्माना
इन मामलों में मिली सजा
मलिक पर यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) लगाई गई है.
19 मई को ठहराया गया था दोषी
अदालत ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 19 मई को दोषी करार दिया था. उसने NIA के अधिकारियों को मलिक पर जुर्माना लगाए जाने के लिए उसकी वित्तीय स्थिति का आकलन करने के निर्देश भी दिए थे.
अदालत ने इससे पहले फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसरत आलम, मोहम्मद युसूफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख तथा नवल किशोर कपूर समेत कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे. लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया, जिन्हें मामले में भगोड़ा अपराधी बताया गया है.
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