जिया मंजरी।
कश्मीर घाटी से पंडितों की रक्तरंजित विदाई के बाद वहां के अल्पसंख्यक समुदाय पर अनेक अत्याचार हुए हैं। ताजा मामला है दो सिख लड़कियों के धर्म परिवर्तन का। सिख समाज दावा कर रहा है कि दोनों लड़कियों को पहले तो बन्दूक की नोंक पर अगवा किया गया, फिर अधेड़ उम्र के मुस्लिम व्यक्ति के साथ उनका निकाह करवाया गया और अंततः दोनों का धर्म परिवर्तन करवा दिया गया। श्रीनगर से दिल्ली तक गरमा चुके इन मामलों के बाद एक लड़की को तो सिख समुदाय को सौंप दिया गया है किन्तु अभी भी एक लड़की मुस्लिम समाज के कब्जे में है। अकाली दल से लेकर जय आसरा गुरु जैसे तमाम सिख संगठन अब इन मामलों पर गृह मंत्री अमित शाह से कड़े कानून की मांग कर रहे हैं। श्रीनगर की सड़कों पर उतरे सिखों का ऐसा जंगी प्रदर्शन घाटी में तो कभी नहीं देखा गया था। ऐसी शिकायत मिल रही है कि बीते एक माह में सिख समुदाय की चार लड़कियों का इसी प्रकार धर्म परिवर्तन किया गया है। सिख समाज इस पूरे मामले में न्यायालय की भूमिका पर भी सवाल उठा रहा है। वैसे भी सिख समाज धर्म परिवर्तन को लेकर कहीं अधिक कट्टर रहा है। इतिहास गवाह है कि सिखों के कई गुरुओं ने धर्म परिवर्तन के बजाये सर कटवाकर समाज के सामने मिसाल प्रस्तुत की थी। अब जबकि सिख लड़कियों को जबरन इस्लाम कबूल करवाया जा रहा है तो सिख समाज के गुस्से को जायज माना जाना चाहिए। जब अपने ही देश में सिख लड़कियों के साथ ऐसी दरिंदगी हो रही है तो हम कल्पना कर सकते हैं कि अन्य देशों में उनके साथ क्या-क्या जुल्म होते होंगे। कभी बौद्ध, डोगरा, गुर्जर जैसे अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों के जबरन निकाह के बाद उनके धर्म परिवर्तन के लिए कुख्यात रहा कश्मीर अब सिख समुदाय की लड़कियों को निशाना बना रहा है तो इसे मामूली घटना नहीं माना जा सकता।
अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा इस पूरे मामले को लव जेहाद का नाम दे रहे हैं जबकि कश्मीर के नेताओं ने इस मामले पर चुप्पी साध ली है क्योंकि अब यह मामला कश्मीर का नहीं पूरे देश की चिंता का सबब बन चुका है। धारा 370 तथा 35 ए के हटने के बाद ऐसा लग रहा था कि घाटी में अल्पसंख्यकों का जीवन सुधरेगा किन्तु हालिया मामले ने यह धारणा पुख्ता कर दी है कि जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक हैं वहां अल्पसंख्यक कभी शांति से नहीं रह सकते। मुस्लिम समुदाय को जेहाद से काफिरों को इस्लाम कबूल करवाना है और हिन्दू लड़कियों को प्रेमपाश में फंसाकर उन्हें मुस्लिम बनाना लव जेहाद का जाना-पहचाना चेहरा है। मुस्लिम लड़कों ने पूरे देश में लव जेहाद चलाया हुआ है और इसमें अधिकतर हिन्दू लड़कियां फंसती थी पर इस बार कश्मीर में ही सिख लड़कियों के धर्म परिवर्तन ने यह साबित कर दिया है कि इस्लाम के लिए अन्य धर्म, पंथ व समुदाय एक जैसे ही हैं। किसान आन्दोलन में सिख-मुस्लिम एकता के जो नारे लगते थे, कश्मीर की इस घटना ने उनका खोखलापन भी सामने ला दिया है। अब संभव है कि किसान आन्दोलन ही सिख-मुस्लिम अदावत की भेंट चढ़ जाए।
लव जेहाद के कश्मीर काण्ड ने यह धारणा भी पुख्ता कर दी है कि अभी केंद्र सरकार को कश्मीर में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए कई सख्त कदम उठाने पड़ेंगे।वहां की बड़ी मुस्लिम आबादी तो पहले ही राजनीति की भेंट चढ़ चुकी है और जो पढ़े-लिखे घाटी के मुस्लिम देशभर में अपना काम कर रहे हैं अब वे भी शक के घेरे में हैं।इससे पहले भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जहाँ कश्मीरी मुस्लिम लड़कों ने हिन्दू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन किया है। ऐसे मामले सीधे तौर पर मानवाधिकार से जुड़े होते हैं। यहाँ एक बात और गौर करने वाली है कि ऐसे मामलों में मीडिया का रवैया भी ढुलमुल रहता है। जब से कश्मीर में सिख लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन का मामला सामने आया है मीडिया ‘दूसरे समुदाय’ की रट लगाए है। पता नहीं मुस्लिम पुरुष बोलने में मीडिया को कोफ़्त होती है। हालांकि अब जब इस मामले पर सभी राजनीतिक दल अपने पक्ष का खेल खेलने में लगे हैं तो अब केंद्र सरकार की जिम्मेदारी कहीं अधिक बढ़ जाती है क्योंकि कश्मीर का कोई भी मुद्दा अंतरराष्ट्रीय बनते देर नहीं लगती। ऐसे में देश की छवि और अल्पसंख्यक समुदाय के विश्वास को बचाए रखने के लिए केंद्र को लव जेहाद के मामलों पर कड़ा कानून बनाने की जरुरत है क्योंकि अब जन्नत की हकीकत में लव जेहाद भी एक प्रमुख मुद्दा है।
( जिया मंजरी, राजनीतिक विश्लेषक)
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