मध्य प्रदेश डायरी/रवींद्र जैन

इस आईएएस की कौन करेगा जांच!
भारत सरकार के कार्मिक विभाग ने मप्र के 1989 बैच के एक आईएएस अधिकारी के कथित भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करने के निर्देश मप्र के मुख्य सचिव को दिए हैं। आरोप है कि कोरोना के दौरान इस अधिकारी ने 150 करोड़ रुपए की खरीदी गलत तरीके से की और लगभग 350 करोड़ के भुगतान में भी अनियमितताएं हुई हैं। मप्र के एक पूर्व विधायक ने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री को भेजी थी। प्रधानमंत्री के निर्देश पर कार्मिक विभाग ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। खास बात यह है कि जांच का पहला पत्र दिसंबर 2020 में आया और दूसरा पत्र जनवरी 2021 में आने के बाद भी अभी तक जांच शुरू नहीं हुई है। पूर्व विधायक ने प्रधानमंत्री को पुन: शिकायत भेजकर जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। अब देखना है कि राज्य सरकार अपने स्तर पर जांच करती है या यह मामला किसी केन्द्रीय जांच एजेंसी तक पहुंचता है।

कांग्रेस के दो दिग्गजों में दूरी
यह खबर थोड़ी चौंकाने वाली है, लेकिन इसकी सच्चाई सामने आने लगी है। खबर है कि प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बीच राजनीतिक दूरियां बढऩे लगी हैं। दिग्विजय सिंह ने हमेशा कमलनाथ को अपना बड़ा भाई बताया है। इन दोनों के बीच राजनीतिक केमिस्ट्री भी गजब की रही है। लेकिन अब धीरे-धीरे इन छोटे-बड़े भाई के बीच दूरियां बढऩे की खबर आ रही है। दरअसल दिग्विजय सिंह चाहते थे कि कांग्रेस पार्टी कमलनाथ के नेतृत्व में पूरे प्रदेश में किसान आंदोलन के पक्ष में पंचायतें आयोजित करे। इस संबंध में कमलनाथ के कहने पर उन्होंने पंचायतें आयोजित करने की योजना बनाकर उन्हें सौंपी भी, लेकिन कमलनाथ ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने दिग्विजय सिंह को इन पंचायतों के लिए कांग्रेस पार्टी के नाम का उपयोग भी न करने का फरमान दे दिया। दिग्विजय सिंह ने मजबूरी में गैर राजनीतिक आधार पर किसान पंचायतों का आयोजन तो कर लिया लेकिन इस मुद्दे पर इन दोनों नेताओं के बीच दूरियां जरूर बढ़ गई हैं।

नए डीजी जेल को झटका
इस सप्ताह प्रदेश के नए डीजी जेल अरविंद कुमार को सरकार की और से तेज झटका लगा है। अरविंद कुमार ने जेल महकमे में अटेचमेंट पर तैनात 33 अधिकारियों के अटेचमेंट एक झटके में समाप्त कर दिए। उनके इस निर्णय के बाद चर्चा थी कि इस आदेश से पूर्व डीजी जेल संजय चौधरी को झटका लगेगा। क्योंकि अधिकांश अटेचमेंट उनके कार्यकाल में हुए थे। अरविंद कुमार को उस समय झटका लगा जब सरकार ने उन्हें तत्काल यह आदेश निरस्त करने का फरमान दे दिया। 24 घंटे के अंदर अरविंद कुमार को अपना आदेश वापिस लेना पड़ा। इससे जेल विभाग में नए डीजी के प्रति अच्छा संदेश नहीं गया। दूसरी ओर पूर्व डीजी संजय चौधरी यह दावा करते दिखाई दे रहे हैं कि उन्होंने अपनी मर्जी से नहीं विभाग की जरूरत और शासन की इच्छा से ही अटेचमेंट किए थे।

नशे में आईटी सेल!
ऐसा लगता है कि मप्र कांग्रेस का आईटी सेल पूरी तरह नशे में काम करता है। आईटी सेल ऐसे-ऐसे ट्वीट करता है जिससे केवल कांग्रेस की नहीं कमलनाथ की भी फजीहत होती है। मप्र में जिस समय कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई थी तब आईटी सेल लगातार ट्वीट करता रहा कि 15 अगस्त 2020 को लाल परेड ग्राउंड पर कमलनाथ मुख्यमंत्री के रूप में झंडा फहराएंगे। यह दावा फिस्स हुआ तो इसके बाद भी आईटी सेल आगे भी इसी तरह के दावे करता रहा। पिछले दिनों आईटी सेल ने दावा किया है कि 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की कुल 814 सीटों में से भाजपा को केवल 8 से 14 सीटे ही मिलेंगी। आईटी सेल के इस दावे पर कांग्रेस के किसी छोटे कार्यकर्ता को भी यकीन नहीं है। अब तो अधिकांश लोग कहने लगे हैं कि कांग्रेस का आईटी सेल नशे में काम करता है।

ऐसे टली विंध्य की बगावत!
क्या वाकई पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ विंध्य में भाजपा विधायकों को बगावत के लिए तैयार कर रहे थे? क्या वाकई अभी भी विंध्य के भाजपा नेताओं में पार्टी के फैसलों को लेकर नाराजगी है? यह चर्चा इसलिए तेज हो गई है कि विंध्य के एक दिग्गज भाजपा विधायक का दावा है कि लगभग 2 महीने पहले कमलनाथ के लोगों ने उनसे संपर्क किया था कि यदि 18 विधायक भाजपा से बगावत कर कांग्रेस की सरकार बनवाते हैं तो उन सभी को मंत्री बनाया जा सकता है। इनमें अधिकांश भाजपा विधायक विंध्य और महाकौशल के बताए जा रहे थे। विधायक को जैसे ही यह प्रस्ताव मिला उन्होंने तत्काल पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा को इसकी जानकारी दी। बताया जाता है कि शिवराज का खुफिया तंत्र भी सक्रिय हुआ और कथित बगावत को टॉय-टॉय फिस्स कर दिया गया।

भगवान भरोसे वीडी शर्मा
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आजकल अपने महामंत्री भगवानदास सबनानी पर सबसे ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। सबनानी भाजपा के वरिष्ठ और गंभीर नेताओं में गिने जाते हैं। लंबे समय तक उपेक्षा के शिकार रहे सबनानी की प्रतिभा को वीडी शर्मा ने पहचान लिया और फिलहाल दो बड़ी जिम्मेदारियां उन्हें सौंप दी हैं। प्रदेश कार्यालय में वीडी शर्मा और सुहास भगत के बाद संगठन में सबसे ताकतवर पदाधिकारी भगवानदास ही हैं। वे फिलहाल प्रदेश कार्यालय में प्रभारी महासचिव की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वीडी शर्मा ने सबनानी की कार्यशैली से प्रभावित होकर ही उन्हें नगरीय निकाय चुनाव का भी प्रभार सौंप दिया है। सबसे खास बात यह है कि भगवानदास सबनानी छोटे से बड़े कार्यकर्ता को न केवल पहचानते हैं बल्कि उसे पूरा सम्मान भी देते हैं। उनकी यह शैली वीडी शर्मा को पसंद आ गई है।

और अंत में….
प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एपी श्रीवास्तव को रेरा का चेयरमैन बनाने के बाद अब प्रशासनिक हलकों में एक ही सवाल पूछा जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेहद भरोसे के आईएएस अधिकारी मनोज श्रीवास्तव का रिटायरमेंट के बाद पुर्नवास किस रूप में होगा? मनोज श्रीवास्तव इसी साल 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। तय माना जा रहा है कि उनके अनुभव का लाभ राज्य सरकार लेगी। चर्चा है कि फिलहाल मनोज श्रीवास्तव को सुशासन संस्सुनी सुनाई

 

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