मध्य प्रदेश डायरी- रवीन्द्र जैन

रवीन्द्र जैन
रवीन्द्र जैन

*रवीन्द्र जैन

मप्र मंत्रालय में पदस्थ एक ताकतवर एसीएस (अतिरिक्त मुख्य सचिव) स्तर के अधिकारी को मौजूदा कुर्सी से हटाने के लिये भोपाल जिला न्यायालय के एक आदेश का सहारा लिया गया है। इन एसीएस के खिलाफ मप्र लोकायुक्त ने 2009 में दवा खरीदी में भ्रष्टाचार की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की थी। लोकायुक्त ने 2014 में इस मामले में कोर्ट में खात्मा प्रस्तुत किया। भोपाल जिला न्यायालय ने पिछले दिनों इस प्रकरण में जांच ठीक तरह से नहीं होने की बात कहते हुए खात्मा अस्वीकार कर दिया और पांच बिन्दुओं पर नये सिरे से जांच के आदेश दिये हैं। कोर्ट के आदेश के आधार पर एक पूर्व विधायक ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जांच पूरी होने तक एसीएस को मौजूदा विभाग से हटाने की मांग की है। विधायक का तर्क है कि एसीएस अपने पद का दुरुपयोग कर जांच प्रभावित कर सकते हैं।

थिंक टैंक से परेशानी!
शिवराज सरकार ने दिल्ली के एक राष्ट्रवादी थिंक टैंक कहे जाने वाले प्रोफेसर को भोपाल लाकर एक साथ दो कुर्सियों पर बिठा दिया है। सरकार ने इन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दे दिया है। निश्चित रूप से यह सज्जन योग्य और अनुभवी हैं, लेकिन इनकी कार्यशैली से मप्र की नौकरशाही हैरान परेशान है। प्रदेश के एक ईमानदार प्रमुख सचिव जब इनसे मिलने गए तो उन्हें लगभग एक घंटे इंतजार कराया गया। प्रमुख सचिव के प्रति इनका व्यवहार भी काफी रूखा रहा। यही कारण है कि प्रमुख सचिव लगभग 15 दिन की छुट्टी पर चले गए थे। अब वे अपना विभाग बदलवाने के प्रयास में लगे हैं। दिल्ली से आए संघ विचारधारा के थिंक टैंक को लेकर जिले के अधिकारी भी कम परेशान नहीं हैं। वे जहां भी वे दौरे पर जाते हैं उनका प्रयास होता है कि कमिश्नर और कलेक्टर उनके आगे पीछे रहें। यह मामला अब मुख्यमंत्री से होता हुआ संघ पदाधिकारियों तक पहुंच गया है।

है किसी कलेक्टर में इतनी हिम्मत?
मप्र में शायद ही कोई कलेक्टर होगा जो अपने कामकाज की समीक्षा के लिए जिले के समाजसेवियों, पत्रकारों और वकीलों की टीम तैयार कर उससे अपने काम का ऑडिट कराए और इस पर बकायदा किताब छपवाकर भी बंटवाए। यह काम किया है शाजापुर कलेक्टर डीके जैन ने। कलेक्टर बनते ही उन्होंने जिले की गुलाना तहसील के 81 गांव में राजस्व संबंधी सभी समस्याओं को 60 दिन में हल करने के लिए राजस्व अफसरों की पांच टीमें बनाईं। 3448 शिकायतों का निराकरण किया। गुलाना तहसील को आदर्श तहसील घोषित करने से पहले कलेक्टर ने जिले के सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों की टीम बनाकर इन गांव में भेजी। इस टीम ने थर्ड पार्टी ऑडिट रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपकर बताया कि वाकई यदि इस तरह की मुहिम पूरे प्रदेश की तहसीलों में चलाई जाए तो गांव की 90 प्रतिशत राजस्व समस्याओं का समाधान हो सकता है। इनमें जमीनों का नामांतरण, बंटवारा, नाम की त्रुटि, रकबे की त्रुटि, खाते पर नाम न होना, नाबालिग हटाना, बंधक करना आदि समस्याएं शामिल थीं।

जूनियर तन्खा ने ठोकी ताल
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और देश के जाने-माने वकील विवेक तन्खा के वकील बेटे वरूण तन्खा ने मप्र सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट में ताल ठोकने की घोषणा कर दी है। प्रदेश के चयनित शिक्षकों और बेरोजगार युवकों के खिलाफ भोपाल में प्रदर्शन के दौरान मुकदमे दर्ज होने से व्यथित वरूण तन्खा ने सोशल मीडिया पर अपना मोबाइल सार्वजनिक करते हुए चयनित शिक्षकों और बेरोजगार युवकों को आव्हान किया है कि उनके अधिकारों की न्यायिक लड़ाई नि:शुल्क लड़ने वे तैयार हैं। उन्होंने यह भी लिखा है कि उनसे कभी भी संपर्क किया जा सकता है। जूनियर तन्खा की इस घोषणा के बाद अतिथि शिक्षक भी अपनी परेशानियों को लेकर उनका दरवाजा खटखटाने लगे हैं। तय है कि आने वाले समय में विवेक तन्खा की तरह वरूण तन्खा भी सरकारी नीतियों के खिलाफ हाईकोर्ट में जिरह करते नजर आएंगे।

केन्द्रीय मंत्री के अतीत का प्रदर्शन
केन्द्र सरकार में सामाजिक न्याय मंत्री बनाए गए टीकमगढ़ के सांसद वीरेन्द्र सिंह खटीक के बारे में बहुत कम लोग जानते थे कि वे सांसद बनने से पहले सागर के तीन बत्ती चौराहे पर साईकिल के पंचर जोड़ा करते थे। पिछले दिनों भाजपा ने अपने नए केंद्रीय मंत्रियों की आशीर्वाद यात्रा निकाली तो यह बात सामने आई। दरअसल वीरेन्द्र खटीक आशीर्वाद यात्रा लेकर सागर पहुंचे तो उनके समर्थकों ने तीन बत्ती चौराहे पर उनके स्वागत के लिए जो मंच बनाया था उस पर एक पुरानी साईकिल और हवा भरने का पंप सजाया गया। मंच पर बकायदा होर्डिंग लगाया गया कि इसी स्थान पर वीरेन्द्र कुमार जी साईकिलें सुधारने का काम करते थे। बताते हैं कि इस प्रदर्शन में स्वयं केन्द्रीय मंत्री की सहमति थी, क्योंकि वे इतनी ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी अपना अतीत भूलना नहीं चाहते।

गिरफ़्तारी से डरता है यह अफसर
यह बहुत चौंकाने वाली लेकिन सच खबर है कि मप्र में एक डीटीओ (जिला परिवहन अधिकारी) ऐसा भी है जो पिछले लंबे समय से दफ्तर नहीं गया है। वह चोरी छुपे जिले के होटलों में बैठकर वह फाईलें निपटाता है। दरअसल इस अधिकारी को डर है कि दफ्तर में बैठते ही पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है। मामला बुंदेलखंड के एक डीटीओ का है। इन डीटीओ के खिलाफ पुलिस वेरीफिकेशन के फर्जी दस्तावेज के मामले में एफआईआर दर्ज हुई है। लगभग 4 महीने से न तो वे कार्यालय पहुंचे हैं और न ही विभाग ने उन्हें जिले से हटाने की कोशिश की है। डीटीओ पुलिस से बचने होटल में चोरी छुपे पहुंचते हैं और वहीं बैठकर विभाग की फाईलें निपटाकर जिले से बाहर चले जाते हैं। पिछले लंबे समय से यही क्रम चल रहा है। हालांकि जिले के पुलिस कप्तान का कहना है कि फिलहाल एफआईआर के मामले में जांच चल रही है

और अंत में….
खंडवा लोकसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में अरूण यादव का नाम लगभग तय हो चुका है। प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने उनके नाम पर सहमति दे दी है। अरूण यादव को दिल्ली बुलाकर समझाया गया है कि खंडवा में कांग्रेस के अंदर ही उनका काफी विरोध है। चुनाव की घोषणा से पूर्व उन्हें खंडवा लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेस नेताओं के बीच जाकर विरोध को खत्म करना होगा। पार्टी के संकेत मिलते ही अरूण यादव ने अपने विरोधी नेताओं से मतभेद खत्म करने की मुहिम तेज कर दी है। देखना है कि चुनाव से पहले कांग्रेस की गुटबाजी कितनी कम होती है?

रवीन्द्र जैन

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