रवीन्द्र जैन
मंहगी अभिनेत्री की भोपाल यात्रा पर खुफिया नजर
राज्य का खुफिया विभाग इस बात की तहकीकात कर रहा है कि मुम्बई की एक मंहगी अभिनेत्री पिछले कुछ दिनों से भोपाल और ग्वालियर की गोपनीय यात्रा पर लगातार आ रही है। यह अभिनेत्री अपनी बोल्ड फिल्मों और अति बोल्ड दृश्यों के लिए चर्चा में रहती है। खुफिया विभाग को खबर लगी है कि यह अभिनेत्री कभी विशेष विमान से तो कभी नियमित विमान से लगातार भोपाल आकर एकाध दिन ठहर कर मुम्बई लौट जाती है। इसी तरह इसका ग्वालियर आना जाना भी पता चला है। खुफिया विभाग पता लगा रहा है कि यह किससे मिलने आती है। इसके आने जाने और ठहरने का खर्च कौन कर रहा है?
ई टेंडर में 93 करोड़ की रिश्वत का सच!
इस सप्ताह धार के कारम बांध टूटने पर मीडिया में जमकर खबर चलाई कि इसके निर्माण में 93 करोड़ रिश्वत बांटी गई। दरअसल यह सही नहीं है। सच्चाई यह है कि दो वर्ष पहले ईडी ने ई टेंडर घोटाले में हैदराबाद की मेंटाना कंपनी के मालिक राजू मेंटाना और भोपाल की फर्म अर्नी इंफ्रा के आदित्य त्रिपाठी को गिरफ्तार किया था। ईडी ने प्रेसनोट जारी कर कहा था कि मेंटाना कंपनी ने ई टेंडर घोटाला कर 1000 करोड़ के ठेके लिए। मेंटाना कंपनी ने अर्थवर्क के नाम पर अर्नी इंफ्रा को 93 करोड़ दिए। अर्नी इन्फ्रा व आदित्य त्रिपाठी सिर्फ एक चेहरा हैं। यह मेंटाना से मिली राशि को कैश में बदलकर मप्र के वरिष्ठ अधिकारियों को रिश्वत बांटते हैं। अर्थात ईडी ने स्पष्ट कर दिया था कि ई टेंडर घोटाले में आदित्य त्रिपाठी के जरिए अफसरों को रिश्वत बांटी गई है। लेकिन ई टेंडर घोटाले की जांच कर रहे आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने इस पर आजतक कोई कार्रवाई नहीं की है। ब्यूरो चाहता तो ई टेंडर घोटाले में रिश्वत लेने वाले अफसरों के चेहरे बेनकाब कर सकता था।
तीन भाजपा विधायक पार्टी लाईन से अलग!
मप्र के विन्ध्य में भाजपा के तीन विधायक पूरी तरह मनमानी पर उतारू हैं। तीनों पार्टी के अनुशासन की कतई चिन्ता नहीं कर रहे हैं। सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह ने अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर उमरिया जिला प्रशासन को झुकाने का काम किया। वे कृष्ण जन्माष्टमी पर बांधवाधीश मंदिर में पूजा करने पर अड़े थे। बांधवगढ में जंगली हाथियों के कारण प्रशासन अनुमति नहीं दे रहा था। दिव्यराज सिंह ने सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन शुरु कर दिया। उन्हें गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन वे प्रशासन को झुका कर माने। मैहर के विधायक नारायण त्रिपाठी भी पार्टी लाईन के खिलाफ खुलेआम बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने एक दलित महिला सरपंच पर अत्याचार के मामले में अपनी ही पार्टी के मंत्री और सांसद को परिणाम भुगतने की चेतावनी दे डाली है। भाजपा के सेमरिया विधायक केपी त्रिपाठी जनपद सीईओ को गालियां देते और पीटने की धमकी देते नजर आए। उनके समर्थकों ने सीईओ को जमकर पीट भी दिया। पार्टी विधायकों की इन हरकतों से परेशान है।
कांग्रेस के निशाने पर यह दो अधिकारी
मप्र कांग्रेस आजकल ऐसे आईएएस आईपीएस अधिकारियों की सूची तैयार करने में व्यस्त है, जो भाजपा कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं। इस सूची में धार कलेक्टर पंकज जैन और पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह का नाम लिख लिया गया है। नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविन्द सिंह इन दोनों अफसरों से खासे नाराज हैं। दरअसल धार जिले का कारम बांध लीक होने पर डॉक्टर गोविन्द सिंह वहां पहुंचे थे। यह दोनों अफसर कुर्सी डाले वहां बैठे थे। प्रोटोकॉल के तहत इन अफसरों को नेता प्रतिपक्ष के पास आना चाहिए था और उन्हें हालात की जानकारी देना चाहिए थी, लेकिन डॉक्टर गोविन्द सिंह का आरोप है कि नेता प्रतिपक्ष को सामने देखकर भी यह दोनों अफसर कुर्सी तक से खड़े नहीं हुए। सिंह का कहना है कि भाजपा की शह पर अफसरों का यह व्यवहार बहुत ही आपत्तिजनक है। वे विधानसभा में यह मामला उठा सकते हैं।
एआरटीओ के यहां की सूचना कैसे लीक हुई!
जबलपुर एआटीओ संतोष पाल के घर ईओडब्ल्यु के छापे की सूचना पहले ही लीक हो गई थी, यही कारण है कि छापे से पहले ही काफी माल और दस्तावेज गायब कर दिए गये। दरअसल जबलपुर जिला प्रशासन का एक वाट्सऐप ग्रुप है जिसमें यह एआरटीओ भी शामिल है। ईओडब्ल्यु के अधिकारियों ने छापे के लिए जिला कलेक्टर से गवाह के तौर पर 6 अधिकारी मांगे थे। पता नहीं कैसे यह सूचना अफसरों के वाट्सऐप ग्रुप पर चल गई। जैसे ही इसे एआरटीओ ने पढ़ा, उन्होंने तत्काल लोडिंग वाहन बुलाकर सामान शिफ्ट करना शुरू कर दिया। ईओडब्ल्यु अफसरों को जैसे ही इसकी भनक लगी तो जो छापा सुबह पड़ना था वह उन्होंने रात में डाल दिया। ईओडब्ल्यु के अफसर स्वीकार कर रहे हैं कि खबर लीक नहीं होती तो काफी माल मिलता। फिर भी एआरटीओ के यहां कमाई से 600 गुना माल तो मिल ही गया है।
कांग्रेस को सरकार के खिलाफ सिटी बजाने वालों की फिर याद आई
आपको याद है कि 2018 से पहले मप्र में 4 व्हीसलब्लोअरों ने शिवराज सरकार की नींद हराम कर रखी थी। व्यापमं घोटाला उजागर करने में इनकी अहम भूमिका थी। इंदौर के प्रशांत पांडे व डाॅ. आनन्द राय, भोपाल के अजय दुबे और ग्वालियर के आशीष चतुर्वेदी ने सरकार के खिलाफ जमकर मोर्चा खोला था। तब कांग्रेस ने इनका साथ लिया और मप्र में सरकार बदल डाली। कमलनाथ सरकार ने इन व्हीसलब्लोअरों को अपने हाल पर छोड़ दिया। यह सभी कांग्रेस से नाराज होकर इधर उधर हो गए। अगले वर्ष होने वाले चुनावों को देखते हुए कांग्रेस को फिर से इनकी याद आने लगी है। कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने पिछले दिनों डाॅ. आनन्द राय को भोपाल बुलाकर पहले उनके और कांग्रेस विधायक हीरा अलावा के मतभेद दूर करने का प्रयास किया। खबर है कि दिग्विजय सिंह ने राय को कांग्रेस से चुनाव लड़ाने के संकेत भी दिए हैं। दिग्विजय दिल्ली में भर्ती आशीष चतुर्वेदी का हाल जानने अस्पताल भी पहुंचे। प्रशांत पांडे आजकल दिल्ली में कपिल सिब्बल के ओएसडी के रूप में काम कर रहे हैं। कांग्रेस उनसे भी संपर्क कर रही है। अजय दुबे ने फिलहाल शिवराज सरकार से ज्यादा कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के खिलाफ ही मोर्चा खोल रखा है। अजय दुबे अब कांग्रेस की मदद करेंगे इसकी उम्मीद बिल्कुल नहीं है।
और अंत में…!
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई और कांग्रेस के चाचौड़ा विधायक लक्ष्मण सिंह ने भोपाल के 45 बंगला स्थित अपना सरकारी आवास कांग्रेस का चुनावी वाॅर बनाने के लिए कमलनाथ को सौंप दिया है। इस पूरे बंगले में कांग्रेस का वाॅर रूम तैयार किया जा रहा है। लक्ष्मण सिंह का भोपाल में स्थाई निवास वैसे भी केरवा रोड पर है, जहां वे परिवार के साथ रहते हैं। यह बंगला मिलने से कांग्रेस में उत्साह है। अभी तक कमलनाथ के बंगले पर चल रहे वाॅर रूम को यहां शिफ्ट किया जाएगा। लेकिन यह भी तय है कि इस वाॅर रूम में सिर्फ उन्हीं को प्रवेश मिलेगा जो जिन्हें अनुमति होगी।
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