लोकायुक्त क्यों नहीं दे रहे “करेप्शन क्वीन” की जांच की अनुमति!
मप्र लोकायुक्त संगठन में आजकल एक ही मुद्दा छाया हुआ है कि आखिर लोकायुक्त महोदय मप्र की “करेप्शन क्वीन” के नाम से कुख्यात हो चुकी महिला अफसर के खिलाफ जांच की अनुमति क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकायुक्त संगठन के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना को इस महिला अफसर के भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली थीं। उन्होंने लोकायुक्त से इसकी जांच की अनुमति मांगी, लेकिन नहीं मिली। इसी महिला अफसर के नाम पर रिश्वत का वीडियो वायरल हुआ तो मकवाना ने फिर से लोकायुक्त से अनुमति मांगी। अनुमति देने के बजाय मकवाना को ही लोकायुक्त संगठन से हटा दिया गया। मजेदार बात यह है कि लोकायुक्त संगठन के नये पुलिस महानिदेशक योगेश चौधरी ने भी इस कथित भ्रष्ट महिला अफसर की जांच की अनुशंसा लोकायुक्त को भेजी है, लेकिन अभी तक कोई जबाव नहीं आया है।
“नरोत्तम सेंसर बोर्ड” के गठन का प्रस्ताव!
देश के एक चर्चित पत्रकार रवीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सुझाव भेजा है कि भारत के सेंसर बोर्ड को भंग करके “नरोत्तम सेंसर बोर्ड” का गठन किया जाए। नरोत्तम मिश्रा मप्र के गृहमंत्री हैं। वे फिल्मों में फूहड़ता का तीखा विरोध करते हैं। पिछले दिनों उन्होंने शाहरूख खान की फिल्म पठान में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की भगवा बिकनी के साथ अश्लील गाने को लेकर मप्र में फिल्म पर रोक लगाने की चेतावनी दे दी थी। इसके पहले भी वे कुछ फिल्मों के दृश्यों और हिन्दी सीरीयल आश्रम की स्क्रिप्ट पर नाराजगी व्यक्त करके देश भर में सुर्खियां बटोर चुके हैं। रवीश कुमार ने फेसबुक पर लिखा है कि अब नरोत्तम ही सभी फिल्मों के गानों और कलाकारों के कपड़ों का परीक्षण करेंगे। रवीश कुमार ने पीएम से यह भी आग्रह किया है कि नरोत्तम मिश्रा को भोजपुरी गानों की अश्लीलता दूर करने का टारगेट दे दें। 2047 तक उनका काफी अच्छा टाइम कट जाएगा।
दरबार लगाने वाले बाबाओं में गाली-गलौज
आध्यात्मिक शक्तियों के जरिए लोगों की समस्याओं का समाधान करने वाला चार बाबाओं के बीच जमकर गाली-गलौज शुरू हो गई है। सोशल मीडिया पर इनके वीडियो देखकर लगता है कि इन बाबाओं और उनके भक्तों के बीच कभी भी खूनी संघर्ष हो सकता है। झगड़े की शुरुआत पंडोखर महाराज (गुरु शरण शर्मा) ने की। उन्होंने बागेश्वर महाराज (धीरेन्द्र शास्त्री) को फर्जी बताया था। शक्तिपुत्र महाराज (रामवरन शुक्ला) ने पंडोखर महाराज के खिलाफ मुहिम तेज कर दी है। वे पंडोखर महाराज के खिलाफ अनेक वीडियो जारी कर चुके हैं। अब करौली सरकार महाराज (संतोष सिंह भदौरिया) ने न केवल बागेश्वर और पंडोखर महाराज के खिलाफ गाली-गलौज शुरु कर दी है, बल्कि इन दोनों की सभी शक्तियां छिनने का दावा भी कर दिया। पंडोखर महाराज की दो पत्नियां होने का खुलासा भी कर दिया है।
सिंधिया समर्थक अफसरों पर गाज!
मप्र में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक अफसरों को लूप लाईन भेजने का सिलसिला जारी है। कम से कम तीन आईएएस आईपीएस अफसर तो अब खुलकर बोल रहे हैं कि उन्हें सिंधिया के प्रति खास झुकाव रखने की सजा मिल रही है। आईएएस संदीप माकन सिंधिया के खास अफसरों में शुमार थे। ग्वालियर में नगर निगम आयुक्त रहे। शिवराज सरकार ने उन्हें लूप लाईन में पोस्ट कर दिया है। सिंधिया से सिफारिश कराके ग्वालियर आईजी बने आईपीएस अनिल शर्मा को एक घटना के बाद हटाकर पिछले कई महीने से बेकाम रखा गया है। ग्वालियर के तत्कालीन कलेक्टर अनुराग चौधरी को भी सिंधिया का बेहद खास अफसर माना जाता था। पिछले दिनों आयुष्मान भारत योजना में रिश्वत का एक वीडियो वायरल होने के बाद शिवराज सरकार ने चौधरी को लूप लाईन भेजते हुए पशु पालन विभाग में उपसचिव बना दिया है।
अंधेरे में भाजपा के दो “दीपक”
राजनीति में इन दिनों ईमानदारी से ज्यादा बेईमानी और चकाचौंध हावी है। जो नेता इससे दूर हैं, वे या तो खुद किनारे हो गए हैं या फिर किनारे कर दिए गए हैं। ऐसा ही हुआ है भाजपा के दो दीपकों के साथ। इनमें से एक हैं भाजपा के पूर्व मुख्य प्रवक्ता डॉ दीपक विजयवर्गीय और दूसरे हैं पूर्व मंत्री दीपक जोशी। दोनों ही बेहद ईमानदार हैं और संगठन के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं। बदलती भाजपा में नेताओं के बीच आगे बढ़ने को लेकर मची होड़ में दोनों नेता पीछे रह गए हैं। विजयवर्गीय संघ पृष्ठभूमि के कट्टर भाजपाई हैं। पूरा राजनीतिक जीवन बेदाग रहा है। इसी तरह राजनीति के संत पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी भी मंत्री रहते भी सत्ता की चकाचौंध से दूर रहे। बंगले से हाथ में फाइल लेकर मंत्रालय तक पैदल जाते कई बार देखे गए। फिलहाल भाजपा के यह दोनों दीपक अंधेरे में हैं।
दो भाजपा विधायक कर सकते हैं क्रास वोटिंग!
मप्र विधानसभा में कांग्रेस ने शिवराज सरकार के प्रति अविश्वास प्रस्ताव की सूचना दे दी है। यदि इस अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होती है और कांग्रेस पार्टी मतदान कराती है तो यह लगभग तय माना जा रहा है कि भाजपा के दो विधायक सरकार के खिलाफ मतदान कर सकते हैं। भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल पहले भी अपनी पार्टी के खिलाफ मतदान कर चुके हैं। यह दोनों विधायक अभी भी कांग्रेस नेता कमलनाथ के संपर्क में हैं। खबर तो यह भी है कि कांग्रेस इसी रणनीति के तहत सदन में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई है। दूसरी ओर कांग्रेस के सचिन बिरला का वोट भाजपा के पक्ष में जाना लगभग तय है।
और अंत में….!
मप्र में अचानक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस व आईपीएस अफसरों के बीच बनी दूरी समाप्त हो गई है। खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री सचिवालय से अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के सभी अधिकारियों को संदेश पहुंचा है कि यदि वे किसी विषय पर या व्यक्तिगत समस्या को लेकर मुख्यमंत्री से मिलना चाहें तो मिलने का समय आसानी से मिल जाएगा। यह भी चर्चा है कि सीएम इन वरिष्ठ अफसरों की बातों को महत्व भी दे रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से मप्र में ऐसा माहौल बन गया था कि सीएम ने वरिष्ठ अफसरों से दूरी बना ली है।
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