समग्र समाचार सेवा
भोपाल, 11 सितंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “राजनीति में जमींदारी प्रथा खत्म होनी चाहिए और परिवारवाद की राजनीति में कोई गुंजाइश नहीं” के संदेश को लागू करते हुए मध्यप्रदेश भाजपा ने अपने संगठन में परिवारवाद पर सख्त कदम उठाया है। प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने जिलों की कार्यकारिणी गठन के दौरान इस दिशा में स्पष्ट नियम लागू किया।
हाल ही में तीन जिलों में नेताओं के परिजनों को पद दिए जाने की खबर सामने आई थी। जैसे ही यह मामला प्रकाश में आया, प्रदेश संगठन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सभी संबंधित नेताओं से इस्तीफे ले लिए। भाजपा का कहना है कि परिवारवाद पर रोक इसलिए जरूरी है ताकि संगठन के लिए मेहनत करने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं को उचित अवसर मिल सके। राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि बड़े नेताओं के परिजन ही पदों पर काबिज रहेंगे तो सामान्य कार्यकर्ताओं के लिए कोई जगह नहीं बचेगी।
कौन-कौन छोड़े पद:
- कैबिनेट मंत्री संपतिया उइके की बेटी श्रद्धा उइके को मंडला की कार्यकारिणी में मंत्री बनाया गया था। विवाद बढ़ने पर उनका पद समाप्त कर दिया गया।
- पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते की बहन प्रिया धुर्वे को जिला उपाध्यक्ष बनाया गया था, बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
- पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बेटे राहुल गौतम को मऊगंज में उपाध्यक्ष बनाया गया था। चर्चा शुरू होते ही उन्होंने भी पद छोड़ दिया।
इन घटनाओं के बाद प्रदेश भाजपा ने सभी जिलाध्यक्षों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कार्यकारिणी में केवल निष्ठावान और सक्रिय कार्यकर्ताओं को ही स्थान दिया जाएगा। संगठन ने यह भी साफ कर दिया है कि परिवारवाद पर अब कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम न केवल संगठन में पारदर्शिता और अनुशासन बनाएगा बल्कि जमीनी स्तर पर मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं के मनोबल को भी बढ़ाएगा। भाजपा के लिए यह एक संकेत है कि अब पदों पर परिवारवाद नहीं बल्कि कार्यकर्ता की योग्यता और समर्पण को प्राथमिकता दी जाएगी।
मध्यप्रदेश भाजपा में यह कदम प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशों के अनुरूप संगठन को मजबूत और लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
Comments are closed.