महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024: एआईएमआईएम ने उतारे 16 उम्मीदवार, 12 मुस्लिम और 4 दलित प्रत्याशी शामिल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,13 नवम्बर। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने अपनी मौजूदगी मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। पार्टी ने इस बार 16 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें से 12 मुस्लिम और 4 दलित समुदाय के प्रत्याशी शामिल हैं। एआईएमआईएम की यह रणनीति राज्य की राजनीति में मुस्लिम और दलित मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने के उद्देश्य से देखी जा रही है। पार्टी ने महाराष्ट्र में 2014 के विधानसभा चुनावों में पहली बार 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 2 सीटें जीतकर एक बड़ी कामयाबी हासिल की थी।

2014 के प्रदर्शन से मिली प्रेरणा

2014 के चुनावों में पहली बार भाग लेने के बावजूद एआईएमआईएम ने महाराष्ट्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी। उस समय पार्टी ने न केवल 22 सीटों पर चुनाव लड़ा, बल्कि औरंगाबाद की सीट पर जीत हासिल करके मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं का ध्यान आकर्षित किया। पार्टी का कहना है कि इस सफलता ने उन्हें राज्य में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए प्रेरित किया है।

दलित-मुस्लिम गठजोड़ का प्रयास

एआईएमआईएम ने इस बार चार दलित और 12 मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर राज्य में दलित-मुस्लिम गठजोड़ बनाने की कोशिश की है। महाराष्ट्र में दलित और मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा मतदाता वर्ग है, और एआईएमआईएम का यह प्रयास है कि वे इन दोनों समुदायों का समर्थन हासिल करके अन्य पार्टियों को चुनौती दे सकें। पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि उनकी पार्टी हमेशा से दलित और मुस्लिम हितों के लिए काम करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ी है, और इस बार के उम्मीदवार इसी संकल्प को मजबूत करने के उद्देश्य से चुने गए हैं।

राजनीतिक समीकरण और चुनौतियाँ

महाराष्ट्र की राजनीति में एआईएमआईएम के लिए यह चुनाव आसान नहीं है, क्योंकि यहाँ कांग्रेस, एनसीपी, भाजपा और शिवसेना जैसे मजबूत राजनीतिक दल पहले से मौजूद हैं। इसके बावजूद एआईएमआईएम का मानना है कि उनकी पार्टी उन मतदाताओं के लिए एक विकल्प हो सकती है, जो बड़े राजनीतिक दलों से निराश हो चुके हैं। एआईएमआईएम का कहना है कि वे विकास, रोजगार और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं और राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द्र को बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है।

एआईएमआईएम के एजेंडा और मुद्दे

पार्टी ने इस चुनाव में अपने मुख्य एजेंडा के रूप में शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय और रोजगार को प्राथमिकता दी है। एआईएमआईएम का मानना है कि महाराष्ट्र के मुस्लिम और दलित समुदायों को सामाजिक-आर्थिक विकास में अभी भी पीछे रखा गया है, और वे इसके खिलाफ आवाज उठाना चाहते हैं। पार्टी का कहना है कि उनके उम्मीदवार सभी समाजों का प्रतिनिधित्व करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि दलित और मुस्लिम समुदाय के लोगों को उनके अधिकार मिलें।

एआईएमआईएम की उम्मीदें और भविष्य की दिशा

इस बार 16 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए एआईएमआईएम की उम्मीद है कि वे पहले से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करेंगे और राज्य की राजनीति में अपनी पहचान और मजबूती को स्थापित करेंगे। पार्टी का यह भी मानना है कि इस बार की चुनावी रणनीति उन्हें महाराष्ट्र के प्रमुख राजनीतिक दलों में शामिल करने में मदद करेगी।

निष्कर्ष

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में एआईएमआईएम का दलित-मुस्लिम गठजोड़ उन्हें एक मजबूत विपक्ष के रूप में उभार सकता है। पार्टी के उम्मीदवारों की सामाजिक संरचना को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि एआईएमआईएम राज्य के राजनीतिक समीकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि एआईएमआईएम अपने प्रयासों में कितना सफल होती है और मतदाताओं का कितना समर्थन हासिल करती है।

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