महाराष्ट्र हिंसा पर हाईकोर्ट सख्त, मनोज जरांगे के अनशन से भड़के समर्थक

समग्र समाचार सेवा
मुंबई ,15 सिंतबर। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र में हो रही हिंसा पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को सख्त टिप्पणी की है. कार्यकर्ता मनोज जरांगे की भूख हड़ताल के बीच बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि कानून-व्यवस्था बनी रहे और प्रदर्शनकारियों के स्वास्थ्य’ को भी नुकसान न पहुंचे. आरक्षण को लेकर हुई हिंसा से राज्य में करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. सरकार मांगें मानने को तैयार है, लेकिन जरांगे अड़े हुए हैं. कोर्ट ने कहा है कि अगर हिंसा होती है तो सरकार को एक्शन लेने का पूरा हक है.

जालना हिंसा और करोड़ों का नुकसान
29 अगस्त से आरक्षण को लेकर जालना सहित कई जगह आंदोलन हो रहे थे. इस बीच 1 सितंबर 2023 को अनशन पर बैठे लोगों को जबरन उठाने की कोशिश की गई.इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया और हिंसा भड़क गई. इस दौरान जालना जिले में बहुत से वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और जगह-जगह तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुई. इस वजह से राज्यभर में 45 से ज्यादा बस डिपो को बंद करना पड़ा. हिंसा की वजह से राज्य को करोड़ों रुपये के राजस्व और संपत्ति का नुकसान हो चुका है. ज्ञात हो कि साल 2018 और 2021 में भी मराठा आरक्षण को लेकर हिंसा का दौर चला था, जिसमें राज्य को 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ था.

नीलेश शिंदे की याचिका में क्या?
नीलेश शिंदे की तरफ से दायर याचिका में बताया गया कि 29 अगस्त से राज्य के अलग-अलग हिस्सों में आंदोलन चल रहा है और इसके कारण कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई है. अब तक करीब 14-15 बसें जला दी गई हैं. जारांगे की तबीयत भी बिगड़ती जा रही है. राज्य सरकार को उनकी स्थिति पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.

अदालत ने क्या कहा?
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र उपाध्याय और जस्टिस अरुण पेडनेकर की बेंच ने आदेश दिया था, जिस पर औरंगाबाद बेंच ने बुधवार को इस मुद्दे पर सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि विरोध के कई तरीके हैं और हर किसी को अलग-अलग तरीके से विरोध जताने का मौलिक अधिकार है. कोर्ट ने कहा, लेकिन इससे राज्य की कानून व्यवस्था नहीं बिगड़नी चाहिेए. कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि वह ध्यान रखें कि कानून व्यवस्था न बिगड़े. अदालत ने सरकार से भी कहा कि वह प्रदर्शनकारियों के स्वास्थ्य का ख्याल रखे. कोर्ट ने कहा कि कानून व्यवस्था बिगड़ने पर राज्य सरकार को एक्शन लेने का अधिकार है और उसकी जिम्मेदारी भी है कि वह कानून व्यवस्था बनाए रखे.

क्या है सरकार की दलील
वहीं, राज्य सरकार ने सुनवाई के दौरान कहा कि हालात पर नजर है. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कहा कि राज्य सरकार जारांगे की सेहत को लेकर पूरी तरह चिंतित है. इसी तरह प्रदेश में जगह-जगह चल रहे आंदोलनों पर भी राज्य सरकार की नजर है. कई मंत्रियों ने जारांगे से अनशन वापस लेने के लिए चर्चा की है और संवाद जारी है. हम उन्हें पूर्ण चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

बिगड़ रही मनोज जरांगे की सेहत
मालूम हो कि मनोज जरांगे का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन बिगड़ता चला गया, जिस कारण पुलिस ने उनसे अपनी भूख हड़ताल खत्म करने की अपील भी की, पर वो आंदोलन की जगह पर जमे रहे. जरांगे की मांग थी कि शिंदे सरकार खुद आकर उनसे मिले. राज्य सरकार उनकी मांगे मान रही है, लेकिन जरांगे फिलहाल अनशन तोड़ते नजर नही आ रहे.

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