समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5 मई। महाराष्ट्र सरकार लंबे समय से स्थानीय निकाय चुनाव टालना चाहती है। हालांकि अब राज्य सरकार को कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि 2400 स्थानीय निकायों के चुनाव का ऐलान करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया जा रहा है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि चुनाव न करवाकर राज्य सरकार अपने संवैधानिक कर्तव्य से भाग रही है और कानून को तोड़ रही है।
पांच साल में स्थानीय निकाय के चुनाव करवाना संवैधानिक कर्तव्य
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस एएस ओका और जस्टिर सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा, पांच साल में स्थानीय निकाय के चुनाव करवाना संवैधानिक कर्तव्य है। 2486 स्थानीय निकायों के चुनाव लंबे समय से लंबित हैं और कोई भी चुना हुआ प्रतिनिधि नहीं है। क्या यह कानून और नियमों का उल्लंघन नहीं है?
विधानसभा में महाराष्ट्र सरकार ने बढ़ाई थी अपनी शक्ति
दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने इस साल विधानसभा में एक संशोधन विधेयक पास किया जिसके तहत सरकार को म्युनिसिपल वॉर्ड चुनाव की समय सीमा बढ़ाने का अधिकार सरकार को मिल गया। पहले यह अधिकार राज्य चुनाव आयोग के पास हुआ करता था। इस कानून के खिलाफ स्पेशल इकनॉमिक बैकवर्ड क्लास फोरम ऑफ महाराष्ट्र और दो अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी।
कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से क्या दी गई दलील
कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील ने के परमेश्वर ने कहा कि सरकार ने जो संशोधन किया है वह कोर्ट के पिछले साल के आदेश के उलट है। बता दें कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पंचायत चुनाव में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण की अधिसूचना रद्द कर दी थी। कोर्ट ने कहा था कि बिना जरूरी आंकड़े जुटाए ही आरक्षण दे दिया गया।
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