समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 3 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और राज्य चुनाव आयोग को महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट पर अमल नहीं करने का निर्देश दिया है। इस रिपोर्ट में स्थानीय निकायों के चुनाव में 27 फीसदी ओबीसी कोटा देने की सिफारिश की थी। कोर्ट ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जाएगा। ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने आगे के कदमों पर चर्चा करने के लिए दोपहर 1 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने मांगे थे ओबीसी के आंकड़े
महाराष्ट्र में 2021 में स्थानीय निकाय के चुनाव होने थे। लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 फीसदी आरक्षण बहाली होने तक राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित करने का फैसला किया है। भाजपा के साथ ही अन्य दलों ने भी इसका समर्थन किया, जिसके बाद स्थानीय निकाय चुनाव टाल दिए गए थे। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने एक रिपोर्ट तैयार की है।
50 फीसदी आरक्षण की शर्त का उल्लंघन
इसमें कहा गया है कि स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जा सकता है। लेकिन 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण देने से 50 फीसदी आरक्षण की शर्त का उल्लंघन होता है। इसके बाद राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत में दायर एक आवेदन में कहा कि अंतरिम रिपोर्ट को देखते हुए चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ आयोजित करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
राजय सरकार ने ओबीसी आरक्षण देने की मांग की
महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो डाटा पेश किया, उसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार हमने डाटा पेश किया है। आयोग की रिपोर्ट में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की समर्थन किया है, लेकिन इसमें कहा गया है कि यह सीमा 50 प्रतिशत के कुल कोटा को पार नहीं करनी चाहिए।
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