मणिपुर में उग्रवाद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई: भारतीय सेना ने 11 विद्रोहियों को किया गिरफ्तार

समग्र समाचार सेवा
इम्फाल,4 अप्रैल।
मणिपुर में सक्रिय उग्रवादी संगठनों को एक बड़ा झटका देते हुए भारतीय सेना और राज्य पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में गुरुवार को तीन जिलों — इम्फाल वेस्ट, इम्फाल ईस्ट और थौबल — में छापेमारी के दौरान 11 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया। इस अभियान के दौरान हथियार, वाहन, संचार उपकरण और कई आपत्तिजनक दस्तावेज भी जब्त किए गए।

पूर्वोत्तर भारत के इस संवेदनशील राज्य में वर्षों से जारी उग्रवाद और जातीय तनाव के बीच यह कार्रवाई सुरक्षा बलों की सतर्कता और मजबूती को दर्शाती है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोग कई प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों से जुड़े हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • कांग्लेपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी-नोयोल समूह)

  • यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी ऑफ कांग्लेपाक (यूपीपीके)

  • पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांग्लेपाक (प्रीपक)

  • केसीपी (पीपुल्स वॉर ग्रुप)

  • कांगलेई याओल कन्ना लुप (सोशलिस्ट रिवोल्यूशनरी पार्टी)

  • केवाईकेएल

  • पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए)

  • केसीपी (सिटी मैतेई)

इनकी उम्र 24 से 49 वर्ष के बीच बताई गई है और ये व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, स्कूलों और सरकारी कार्यालयों से अवैध वसूली में लिप्त थे।

छापे में एक .32 बोर की पिस्तौल व चार जिंदा कारतूस, तीन दोपहिया वाहन, 11 मोबाइल फोन (सक्रिय सिम कार्ड के साथ), ₹2,400 नकद और कुछ दस्तावेज बरामद हुए हैं। अधिकारियों का मानना है कि इन दस्तावेजों में क्षेत्र में चल रही उग्रवादी गतिविधियों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ हो सकती हैं, जो भविष्य में और भी नेटवर्क का भंडाफोड़ करने में मददगार साबित होंगी।

यह गिरफ्तारियाँ केंद्र सरकार द्वारा पूरे मणिपुर राज्य में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के विस्तार के बाद हुई हैं। 1 अप्रैल, 2025 तक लागू इस अधिनियम के तहत राज्य को ‘विक्षुब्ध क्षेत्र’ घोषित किया गया है, जिससे सुरक्षा बलों को बिना वारंट गिरफ्तारी और अभियान चलाने की अतिरिक्त शक्ति मिलती है।

हालांकि, गृह मंत्रालय ने पांच जिलों के कुछ पुलिस थाना क्षेत्रों को AFSPA से बाहर रखा है ताकि अपेक्षाकृत शांत क्षेत्रों में सामान्य स्थिति बहाल की जा सके।

जहाँ मानवाधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से AFSPA पर मानवाधिकार हनन के आरोप लगाते आए हैं, वहीं सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि मणिपुर जैसे उच्च-जोखिम वाले क्षेत्रों में उग्रवाद विरोधी अभियानों के लिए यह कानून बेहद आवश्यक है।

अधिकारियों ने इस सफलता को मणिपुर में शांति बहाली की दिशा में एक मजबूत कदम बताया है। प्रशासन ने यह भी दोहराया है कि राज्य की स्थिरता को नुकसान पहुँचाने वाली ताकतों के खिलाफ कठोर और लगातार कार्रवाई जारी रहेगी।

जैसे-जैसे राज्य में जातीय और राजनीतिक तनाव बना हुआ है, आने वाले दिनों में ऐसी और कार्रवाई होने की संभावना है। केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग और राज्य प्रशासन की सतर्कता से मणिपुर को सुरक्षा के कड़े घेरे में रखा गया है, जिसका उद्देश्य उग्रवादी ढांचों को समाप्त कर हिंसा को जड़ से खत्म करना है।

Comments are closed.