ममता बनर्जी का BJP और चुनाव आयोग पर वार: ‘SIR प्रक्रिया से बंगालियों का मताधिकार छीना जा रहा है’

समग्र समाचार सेवा
कोलकाता, 1 सितंबर: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे, टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने बीजेपी और चुनाव आयोग (EC) पर तीखा हमला बोला है। दोनों नेताओं ने आरोप लगाया कि आगामी 2026 विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची में हेरफेर की जा रही है और बंगालियों के मताधिकार को छीनने की साज़िश रची जा रही है।

‘500 टीमें भेजी गईं बंगाल’

कोलकाता में टीएमसी छात्र संगठन की स्थापना दिवस रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने दावा किया कि बीजेपी ने देशभर से 500 से अधिक टीमें बंगाल में भेजी हैं। उनका आरोप है कि ये टीमें स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) प्रक्रिया के तहत वैध मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने का सर्वे कर रही हैं।

मुख्यमंत्री ममता ने स्पष्ट किया, “हम किसी को भी नागरिकों का लोकतांत्रिक अधिकार छीनने की अनुमति नहीं देंगे। चुनाव आयोग केवल चुनाव के तीन महीने पहले तक ही विशेष शक्तियों का प्रयोग कर सकता है, पूरे साल नहीं।”

समर्थकों से सतर्क रहने की अपील

ममता ने लोगों से अपील करते हुए कहा, “आपको यह सुनिश्चित करना है कि आपका नाम मतदाता सूची में है या नहीं। अपने पास आधार कार्ड हमेशा रखें।” उन्होंने चुनाव आयोग पर राज्य प्रशासन को धमकाने का भी आरोप लगाया।

अभिषेक बनर्जी का आह्वान

टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए जन आंदोलन का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “पहले मतदाता सरकार चुनते थे, अब बीजेपी SIR प्रक्रिया के जरिए मतदाता चुन रही है। अगर किसी वैध मतदाता का नाम हटाने की कोशिश हुई, तो हम दिल्ली तक विरोध प्रदर्शन करेंगे।”

‘बांग्ला भाषा का अपमान’

चुनाव आयोग पर हमले के साथ ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर भी बंगालियों की संस्कृति और भाषा का अपमान करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “वे हम पर दूसरी भाषा थोप रहे हैं। अगर बांग्ला नहीं रहेगा, तो राष्ट्रगान और राष्ट्रीय गीत किस भाषा में होंगे? स्वतंत्रता संग्राम में बंगालियों की ऐतिहासिक भूमिका को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। हम इस भाषाई आतंक को सहन नहीं करेंगे।”

BJP का पलटवार

वहीं, बंगाल भाजपा ने ममता और अभिषेक बनर्जी के आरोपों को “राजनीतिक नाटक” बताया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सामिक भट्टाचार्य ने कहा, “टीएमसी पहले ही समझ चुकी है कि 2026 में उनकी सत्ता वापसी असंभव है। इसीलिए वे मतदाता सूची और भाषा जैसे मुद्दों को उठाकर जनता को गुमराह करना चाहते हैं। लेकिन बंगाल की जनता जानती है कि भाजपा ही विकास और स्थिरता का असली विकल्प है।”

उन्होंने आगे कहा कि टीएमसी अपने शासनकाल की विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे बयान दे रही है, लेकिन जनता अब जागरूक हो चुकी है।

राजनीतिक मायने

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ममता बनर्जी की यह रणनीति बंगाल की मतदाता राजनीति और सांस्कृतिक पहचान को लेकर भावनाएं भड़काने की है। वहीं भाजपा का मानना है कि टीएमसी का यह आक्रामक रवैया उनकी चुनावी बैकफुट की निशानी है। आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराने की संभावना है।

 

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