समग्र समाचार सेवा
कोलकाता,10 जनवरी। ममता बनर्जी देश की पहली नेता नहीं हैं जिसने राम मंदिर उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया हो, लेकिन इस मसले पर जिस अंदाज में ईश्वर और अल्लाह की कसम खाई है, वो उनको अलग करता है – और ऐसा करके टीएमसी नेता ने INDIA गठबंधन में कांग्रेस और अखिलेश यादव जैसे नेताओं को कठघरे में खड़ा कर दिया है.
राम मंदिर उद्घाटन समारोह का विरोध कर ममता बनर्जी ने बड़ी ही मोटी राजनीतिक रेखा खींच दी है, और ईश्वर-अल्लाह की कसम खाकर जो कुछ भी कहा है, सिर्फ कांग्रेस नेतृत्व ही नहीं, अखिलेश यादव जैसे नेताओं की राजनीतिक को तो जैसे चौराहे पर ही ला दिया है.
मंदिर मुद्दे पर ममता बनर्जी का स्टैंड INDIA ब्लॉक के उन सभी नेताओं को गले की फांस नजर आ रहा होगा, जो मौका आने पर ‘सरप्राइज’ देने या ‘न्योता’ मिलने पर जरूर पहुंचने के वादे कर रहे थे – ममता बनर्जी के साफ साफ लकीर खींच देने के बाद तो विपक्षी खेमे के सभी नेताओं को अपना रुख साफ करना ही होगा.
अयोध्या को लेकर अब न तो कोई गुगली चलेगी, और न ही किसी और तरह की चालाकी – ये तो ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस जैसी पार्टियों को बीजेपी कठघरे में खड़ा कर पूछती है, बताओ इधर हो कि उधर… वास्तव में हो किस तरफ. ममता बनर्जी का स्टैंड भी बिलकुल ऐसा ही है.
22 जनवरी को होने जा रहे राम मंदिर उद्घाटन समारोह में शामिल होने के मुद्दे पर ममता बनर्जी ने INDIA ब्लॉक के नेताओं को पसोपेश में डाल दिया है कि वे देश के मुस्लिम समुदाय को बतायें कि हिंदुत्व की राजनीति में किस मोड़ पर खड़े हैं?
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