ममता सरकार पर भाजपा का निशाना: दुर्गा पूजा अनुदान को बताया “धर्म की राजनीति”

समग्र समाचार सेवा
कोलकाता, 03 अगस्त: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दुर्गा पूजा समितियों को ₹1.1 लाख का सरकारी अनुदान देने के निर्णय को लेकर राजनीतिक बवाल तेज़ हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस फैसले को “धर्म आधारित राजनीति” करार देते हुए राज्य सरकार पर विकास की अनदेखी का आरोप लगाया है।

शनिवार को भाजपा की राज्य महासचिव और आसनसोल दक्षिण की विधायक अग्निमित्रा पॉल ने इस मुद्दे पर मुखर होकर कहा कि ममता सरकार अब “खैरात बांटने” और “मंदिर बनवाने” में ही व्यस्त है, जबकि राज्य की जनता शिक्षा, सड़क और रोजगार जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझ रही है।

“विकास छोड़, धर्म का सहारा” — भाजपा का हमला

अग्निमित्रा पॉल ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा,
“राज्य सरकार का पूरा ध्यान अब सिर्फ पूजा और धार्मिक आयोजनों के लिए अनुदान देने पर केंद्रित है। इस तरह की नीतियां राज्य की प्राथमिकताओं को दर्शाती हैं — सड़कें नहीं बन रही, युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा, और सरकार धार्मिक भावनाओं के जरिए सहानुभूति पाने की कोशिश कर रही है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस तरह के फैसले से अन्य समुदायों में भी असंतोष पनपेगा, जो समान सुविधाएं और अनुदान की मांग करने लगेंगे। “आज दुर्गा पूजा को अनुदान, कल चर्च और मस्जिद की मांग — क्या यही धर्मनिरपेक्षता है?” — पॉल ने तीखे स्वर में सवाल उठाया।

जगन्नाथ मंदिर का उदाहरण देकर उठाए सवाल

भाजपा नेता ने ममता सरकार द्वारा दीघा में बनाए गए जगन्नाथ मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि जब सरकार एक खास धार्मिक स्थल पर ज़्यादा ध्यान देती है, तो बाकी धर्मों के अनुयायियों में असंतुलन की भावना पनपती है।

उन्होंने कहा, “अगर सरकार वास्तव में धर्मनिरपेक्ष है, तो वह केवल एक ही धर्म के आयोजन या पूजा स्थल पर खर्च क्यों कर रही है?” उन्होंने इसे “राजनीतिक हिंदुत्व का छद्म रूप” बताया, जिसे चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

भाजपा की प्राथमिकताएं: शिक्षा और रोजगार

फैशन डिजाइनर से राजनीति में आईं अग्निमित्रा पॉल ने स्पष्ट किया कि भाजपा की प्राथमिकता “धर्म नहीं, विकास” है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी शिक्षा, रोज़गार और हर नागरिक के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे वह किसी भी धर्म को मानता हो।

“धर्म की राजनीति से समाज बंटता है, लेकिन शिक्षा और रोज़गार समाज को जोड़ते हैं,” उन्होंने कहा।

दुर्गा पूजा अनुदान को लेकर छिड़ी यह बहस राज्य में धर्म और राजनीति के जटिल रिश्ते को फिर उजागर कर रही है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस अनुदान को सांस्कृतिक समर्थन के रूप में पेश कर रही हैं, वहीं भाजपा इसे धार्मिक ध्रुवीकरण की चाल बता रही है।

राज्य की जनता अब इस बात पर फैसला करेगी कि क्या पूजा अनुदान सामाजिक एकता का प्रतीक है या चुनावी राजनीति का हिस्सा।

 

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