बंगाल में हिंदी भाषी वोटरों को सहेंजे रखना ममता के लिए चुनौती

सुनील अग्रवाल।

भाजपा के तेजी से बढ़ते प्रभाव से घबराई ममता बनर्जी के लिए हिंदी भाषी वोटरों को रिझाने में भारी मशक्कत का सामना करना पड़ सकता है। आलम यह है कि ममता खुद का भवानीपुर विधानसभा सीट सुरक्षित रख पाएं, इसमें भी संशय बना हुआ है। यही कारण है कि कुछ दिनों पूर्व उन्होंने नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है।

वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी के करीबी सह पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के राज्यसभा से इस्तीफा दे देने के बाद, इस आशंकाओं को बल मिला है कि हिंदी भाषी वोटरों को सहेंजे रख पाना, ममता बनर्जी के बूते से बाहर निकलता दिख रहा है।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद दिनेश त्रिवेदी ने यह कहते हुए अपना इस्तीफा सौंपा है कि बंगाल के हालात काबू में नहीं हैं और आये दिन हो रहे खून खराबे से वे काफी कल्पित हैं। दुखद तो यह है कि इन हालातों में वो राज्य सभा में रह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में उनका राज्यसभा में बनें रहने का कोई औचित्य नहीं। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि वो शीघ्र हीं तृणमूल कांग्रेस से भी त्यागपत्र देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं।

बहरहाल दिनेश त्रिवेदी के इस्तीफा देने से ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है। खुद को बंगाल का राॅयल टाइगर बताने वाली ममता की स्थिति दिन ब दिन भींगी बिल्ली जैसी होती जा रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि पार्टी में उठे बवंडर के बीच चुनावी नैया को पार लगा पाना ममता के लिए आसान नजर नहीं दिखता, वो भी तब जब उनके कोहिनूर के एक एक हीरे बिखरते जा रहे हैं।

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