समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29 जून: देश में संविधान और मनुस्मृति को लेकर छिड़ी बहस के बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर का बयान राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। थरूर ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब पहले जैसे नहीं रहे। उन्होंने साफ कहा कि आरएसएस अब शायद उन पुराने विचारों से आगे बढ़ चुका है, हालांकि आज संघ क्या सोचता है, यह वही बेहतर बता सकता है।
कहां से शुरू हुआ विवाद
दरअसल, आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने हाल ही में संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने का समर्थन किया था। उनका कहना था कि ये शब्द 1976 में इमरजेंसी के दौरान जबरन जोड़े गए थे। इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने आरएसएस और बीजेपी पर संविधान से छेड़छाड़ का आरोप लगाना शुरू कर दिया।
राहुल गांधी ने साधा निशाना
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने होसबले के बयान पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि संविधान समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है और यही बात आरएसएस और बीजेपी को चुभती है। राहुल ने कहा कि आरएसएस-बीजेपी को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए ताकि वे बहुजनों और गरीबों को उनके अधिकारों से वंचित कर सकें। उन्होंने आरोप लगाया कि इनका असली एजेंडा संविधान जैसा ताकतवर हथियार छीनना है।
#WATCH | Ahmedabad, Gujarat | On Congress LoP Rahul Gandhi's tweet that the RSS-BJP want Manusmriti instead of the Constitution, Congress MP Shashi Tharoor says, "Historically, he's (Rahul Gandhi) referring to the fact that that was a criticism expressed at the time of the… pic.twitter.com/ICfvs5poae
— ANI (@ANI) June 29, 2025
थरूर ने दिया अलग सुर
जहां एक ओर कांग्रेस खुलकर आरएसएस और बीजेपी को घेर रही है, वहीं शशि थरूर के ताजा बयान ने कांग्रेस के भीतर ही एक अलग सुर पैदा कर दिया है। थरूर ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से गोलवलकर जी ने संविधान में मनुस्मृति के उल्लेख की कमी को उजागर किया था, लेकिन अब समय बदल गया है। थरूर ने इशारों में ही सही, लेकिन यह संकेत दिया कि आरएसएस शायद अब पुराने विचारों से बाहर आ चुका है।
राजनीति में नई बहस के संकेत
थरूर के बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल है। यह बयान ऐसे समय आया है जब पूरा विपक्ष बीजेपी और संघ पर संविधान की आत्मा से खिलवाड़ करने का आरोप लगा रहा है। अब देखना होगा कि थरूर के इस नरम रुख पर कांग्रेस नेतृत्व क्या रुख अपनाता है और क्या यह बयान बीजेपी और आरएसएस के साथ किसी संवाद की नई संभावना खोलता है।
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