माता वैष्णो देवी भवन हादसा: एक बार नही कई बार हुए मां के दरबार में भयानक हादसें, आखिर कौन है इसका जिम्मेदार?
स्निग्धा श्रीवास्तव।
माता वैष्णो देवी के मंदिर में नए साल के ही दिन एक बड़ा हादसा हुआ जिसमें 12 लोगों के मौत की मौत हो गई। देश अभी भी कोरोना महामारी के कारण कई समस्याओं का सामना करना है ऐसे में माता वैष्णो देवी मंदिर में यह हादसा बेहद ही विचारणीय है कि जब देश में छुआ छुत और हवा से फैलने वाली बीमारी के कारण जगह जगह कई तरह की पाबंदिया लगाई गई है ऐसे में माता के दरबार में इतनी भीड़ और भगदड़ हुई कैसे?
हालांकि महामारी को ध्यान में रखते हुए 50 हजार की क्षमता के मुकाबले केवल 35,000 श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति दी गई थी लेकिन ऐसे में कि जब देश में कोरोना के नए वेरियंट ओमिक्रान भी पहुंच चुका है और आशंका भी जताई जा रही है कि इसके कारण अभी देश आने वालें समय में मुश्किल में पड़ सकता है ऐसे में क्या सरकार और देश की जिम्मेदारी यह नही बनती है कि वह साथ मिलकर इस बीमारी से निजात पाने का उपाय निकालें जिसका एकमात्र उपाय है सोशल डिस्टेंसिंग और सोशल डिस्टेसिंग….
रिपोर्ट के अनुसार यह हादसा तीर्थयात्रियों के दो समूहों के बीच झगड़े के कारण हुआ और वहां भगदड़ मच गई जिसमें कुल 12 तीर्थयात्रियों की मौत हुई और 20 अन्य घायल हुए। बताया जा रहा है कि दोनो समूहों में किसी मामूली बात को लेकर बहस शुरू हुई और बाद में यह बहस धक्का-मुक्की में बदल गई जिसके बाद स्थिति अनियंत्रित हुई और यह हादसा हुआ….इस पर सवाल यह उठता है कि अपने घर से इतनी दूर देश की जनता मां के दरबार में नए साल की जश्न मनाने गए थे या फिर तर्क वितर्क करने…कोरोना जैसा महामारी के वक्त भी…तर्क वितर्क ऐसा कि यह 22 लोगों की जान के लिए आफत बन गई।
यह हादसा जम्मू-कश्मीर स्थित माता वैष्णो देवी भवन में 31 दिसंबर यानी शुक्रवार रात 2.45 पर हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये का ऐलान कर दिया है। पर सवाल यह उठता है कि क्या इन आर्थिक राहतों से उस नुकसान की भरपाई हो पाएगी जो जनता ने खोया है क्या वह उन्हें मिल पाएगा?
यह पहली बार नही है जब जम्मू-कश्मीर माता के दरबार में ऐसे हादसें हुए है। इसके पहले 22दिसंबर 2022 में अर्धकुंवारी मंदिर में सिलेंडर ब्लास्ट होने से 5 लोगों की झुलसे, 30 जनवरी 2017 को भूस्खलन हुआ जिसमें 8 लोगों की मौत हुई।
भीड़ भाड़ वालें क्षेत्र में क्या हो सकते है भगदड़ के कारण
पहली बात तो यह कि ऐसे धर्म स्शलों पर जनता को अपने मन और आवेश को नियंत्रित रखना चाहिए क्योंकि मां के दरबार में जानें का तो यही मतलब होता कि वहां मानसिक रूप से शांति मिलती है कहा जाता है कि मां के दरबार में जाकर व उनके दर्शन करके ही भक्तों के कष्ट ऐसे ही कम हो जाते है।
लेकिन भारत के धार्मिक स्थालों में भगदड़ होती है क्यों कि ज्यादातर जगहों पर किसी भी प्रकार का प्रसशानिक व्यवस्था सही नहीं होती है और राष्ट्री य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों का पालन भी नहीं किया जाता है जिसके कारण भीड़ की प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसने की कोशिश, दम घुटना या फिर धक्का -मुक्कीी जैसी स्थिति तो बनी ही रहती है।
ऐसे स्थानों पर बैरिकेड्स, रास्ते, पर्याप्त प्रवेश-निकास द्वार और आपातकालीन निकास ही नहीं होते जिसके कारण आवश्यकता से अधिक लोग डर जाते है और बेकाबू होकर ईधर-उधर भागते है जो हादसे का कारण बनता है।
वैसे भी मंदिरों में भगदड़ का कारण मंदिरों में भारी भीड़ का जुटना, अफवाह, प्राकृतिक आपदाएं और व्यवस्था में कमी माना जाता है जो कहीं ना कही सच्चाई भी है।
देश के ऐसे धार्मिक स्थल जहां मची भगदड़
1. 1954 में इलाहाबाद में कुंभ मेले में भगदड़ मच गई थी। इसमें करीब 800 लोगों की मौत हो गई थी।
2. अगस्त 2015 में झारखंड के देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम में मची भगदड़ में मची जिसमें जलाभिषेक करने आए 11 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।
3. जनवरी 2011 को केरल के इडुक्की जिले के पुलमेडू स्थित सबरीमाला मंदिर के पास मची भगदड़ मची थी जिसमें कम से कम 109 लोगों की मौत हो गई थी और 50 लोग घायल हो गए थे।
4. मार्च 2010 को उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ जिले के मनगढ़ आश्रम में भगदड़ हुई थी। इसमें 63 लोगों की मौत हो गई थी।
5. सितम्बर 2008 में राजस्थान के जोधपुर में चामुंडा देवी मंदिर में अफवाह की वजह से भगदड़ मच गई थी। इसमें 250 लोगों की मौत हो गई थी।
6. अक्टूबर 2007 में गुजरात के पावागढ़ में धार्मिक कार्यक्रम के दौरान भगदड़ मच गई थी. इसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी।
7. जून 2005 को महाराष्ट्र के मंधार देवी मंदिर में भगदड़ मच गई थी। इसमें 350 लोगों की मौत हो गई थी और 200 घायल हो गए थे।
8. अगस्त 2003 में महाराष्ट्र के नासिक में कुम्भ मेले में भगदड़ मच गई थी। इसमें125 लोगों की जान चली गई थी।
9. गरीबनाथ मंदिर, साल 2018- बिहार के गरीबनाथ मंदिर में 13 अगस्त को भगदड़ के कारण 15 लोग घायल हुए थे। हादसे की जांच में पता चला था कि भारी संख्या में दर्शन के लिए पहुंची भीड़ के कारण हादसा हुआ था। इस दौरान शिवलिंग पर जल चढ़ाने और दर्शन को लेकर भीड़ जमा हो गई थी।
देश की जनता को और सरकार को इन हादसों से सबक लेना चाहिए। ऐसे बड़े धार्मिक स्थल जहां भारी मात्रा में भीड़ होती है और वहां सरकार को भी उचित व्यवस्था करनी चाहिए साथ ही लोगों को भी धार्मिक स्थलों पर जानें से पहले अपने मन और विचार साफ रखने चाहिए ताकि वे कम से कम धार्मिक स्थलों पर जिस उद्देश्य से जा रहे है कम से वह पूरा करके ही अपने घर वापस लौटे ना कि इस तरह के हादसों का कारण बनें।
अन्य धार्मिक स्थलों पर भगदड़ के कारण हादसें
1. अफगानिस्तान के काबूल में बम-धमाके में अक्टूबर 2021 को बम धमाके के बाद मस्जिद के बाहर भगदड़ मच गई थी जिसमें कई आम नागरिकों की जान गई।
2.धनबाद में 2 दिसंबर 2021 में बीसीसीएल सिजुआ एरिया 5 के अंतर्गत 22 12 बस्ती स्थित जामा मस्जिद का कुछ हिस्सा देर शाम गिर गया था जिससे वहां भगदड़ मच गया हालांकि यहां कुछ जानमाल का नुकसान नही हुआ। इसके बाद आसपास के ग्रामीण भी मस्जिद के पास इकट्ठा हो गए एवं आउटसोर्सिंग कम्पनी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कंपनी का काम बंद कराने निकल पड़े थे।
3. 5 नवंबर 2021 को रांची के भीड़भाड़ वाला क्षेत्र चर्च रोड की गारमेंट दुकान में आग लगने से भगदड़ मच गई थी हालांकि इस हादसे वक्त रहते बचाव कार्य भी शुरू कर दिया गया था।
4. हावड़ा में ‘दुआरे सरकार’ शिविर में फॉर्म के लिए भगदड़ मच गई थी जिसमें 12 लोग घायल, 5 की हालत गंभीर हुई थी।
5. 5 नवंबर 2021 को अमेरिका में टेक्सास प्रांत के ह्यूस्टन शहर में एस्ट्रोवर्ल्ड संगीत समारोह के दौरान भगदड़ में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गयी जबकि कई अन्य लोग घायल हो गए। इस समारोह में कम से कम 50 हजार लोग शामिल थे।
6. 2 फरवरी 2020 को तंजानिया के एक चर्च में खुले में हो रही प्रार्थना सभा के दौरान भगदड़ मचने से 20 लोगों की मौत हो गई थी और 16 लोग घायल हो गए थे।
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