मायावती ने खेला ब्राह्मण कार्ड, कुख्यात विकास दुबे के भतीजे की पत्नी की रिहाई के लिए आगे आई बसपा

समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 22जुलाई। उत्तर प्रदेश अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में तमाम पार्टियां अपनी अपनी जुगत में लगी हुई है। सभी पार्टियां अपने आपको सत्ता में लाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार है। वहीं एक बार फिर यूपी में में सत्ता की लालच में बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर ब्राह्मणों को अपने साथ लाने का प्रयास कर रही है वो भी अपराधियों का साथ देकर।
जी हां उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब बिकरू मामले के मुख्य आरोपी विकास दुबे के साथी अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे की मदद के लिए आगे आई है और खुशी की रिहाई के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने को तैयार है।

बता दें कि 23 जुलाई को अयोध्या में होने वाले ब्राह्मण सम्मेलन से पहले पार्टी नेता और पूर्व मंत्री नकुल दुबे ने एलान किया कि बिकरू कांड में आरोपी बनाई गई खुशी दुबे की रिहाई की लड़ाई बसपा लड़ेगी।

बता दें कि खुशी कुख्यात विकास दुबे के भतीजे अमर की पत्नी है। बिकरू कांड के बाद पुलिस मुठभेड़ में दोनों ढेर कर दिए गए थे।
अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन की तैयारियों को अंतिम रूप देने पहुंचे नकुल दुबे ने कहा कि बिकरू कांड के बाद खुशी पर हत्या और आपराधिक साजिश समेत आईपीसी की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किए जाने के बाद उसके परिजनों ने कानपुर देहात की विशेष अदालत में हलफनामा पेश कर दावा किया था कि वह नाबालिग है।

उसके अधिवक्ता ने भी दलील दी थी कि बिकरू कांड से महज तीन दिन पहले उसकी अमर से शादी हुई थी। इसलिए साजिश में उसकी कोई भूमिका नहीं है। इसके बाद भी आठ जुलाई 2020 से जेल में बंद खुशी को जमानत नहीं मिली है।

उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकील और बसपा महासचिव सतीश मिश्र खुशी का केस लड़ेंगे और उसकी रिहाई की मांग करेंगे।
उधर, खुशी दुबे के अधिवक्ता शिवकांत दीक्षित ने कहा, मुझे किसी पार्टी विशेष में दिलचस्पी नहीं है।

खुशी दुबे की रिहाई की लड़ाई में यदि कोई हमारा साथ देना चाहता है तो उसका स्वागत है। हालांकि, मुझसे अभी तक किसी ने संपर्क नहीं किया है। साथ ही कहा कि किशोर न्याय बोर्ड ने खुशी के नाबालिग होने की पुष्टि कर दी है। इसके बाद भी उसे जमानत नहीं मिली है।

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