स्वतंत्रता दिवस पर मांस बिक्री पर रोक: महाराष्ट्र और हैदराबाद के नगर निकायों के फैसले से मचा राजनीतिक बवाल

समग्र समाचार सेवा
मुंबई/हैदराबाद, 13 अगस्त: महाराष्ट्र के चार नगर निकायों और हैदराबाद के एक नगर निकाय ने 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मांस की दुकानों को बंद रखने का आदेश जारी किया है। विशेष रूप से कल्याण-डोंबिवली नगर निगम (केडीएमसी) के फैसले ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है, जिसमें विपक्षी दलों ने इसे व्यक्तिगत भोजन विकल्पों पर हमला बताया है।

विपक्ष का विरोध – “खाने का अधिकार छीनना गलत”

शिवसेना (यूबीटी) के विधायक आदित्य ठाकरे ने इस आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “मेरे घर में नवरात्रि के दौरान भी झींगे और मछली का प्रसाद होता है, जो हमारी परंपरा का हिस्सा है। यह धार्मिक या राष्ट्रीय हित का मामला नहीं है। स्वतंत्रता दिवस पर क्या खाना है, यह मेरा अधिकार है।” ठाकरे ने केडीएमसी आयुक्त को निलंबित करने की भी मांग की।

एनसीपी (शरद पवार) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने भी विरोध जताते हुए कहा कि वे 15 अगस्त को मांसाहारी भोजन करेंगे। उन्होंने इसे असंगत और अनुचित आदेश बताया।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा, “अगर यह किसी धार्मिक अवसर पर होता तो समझ आता, लेकिन जब ऐसा कोई अवसर नहीं है तो मांस की दुकानों को बंद करने का कारण स्पष्ट नहीं है।”

केडीएमसी का तर्क – 1988 से जारी है परंपरा

केडीएमसी की डिप्टी कमिश्नर (लाइसेंस) कंचन गायकवाड़ ने बताया कि यह आदेश 1988 से हर साल लागू किया जाता रहा है। आदेश के अनुसार, 14 अगस्त की मध्यरात्रि से 15 अगस्त की मध्यरात्रि तक बकरियों, भेड़ों, मुर्गियों और अन्य जानवरों के लाइसेंस प्राप्त कसाईखाने और मांस की दुकानें पूरी तरह बंद रहेंगी।
उल्लंघन की स्थिति में महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम, 1949 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

राजनीतिक रंग चढ़ा विवाद

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद सिर्फ मांस बिक्री के आदेश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में भी एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। विपक्ष इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जोड़कर जनता के बीच भुनाने की कोशिश करेगा, वहीं सत्ताधारी दल इसे स्थानीय परंपरा और प्रशासनिक अधिकार का हिस्सा बताकर बचाव करेगा।

हैदराबाद में भी आदेश लागू

हैदराबाद के एक नगर निकाय ने भी इसी तरह का आदेश जारी किया है, जिसमें स्वतंत्रता दिवस के दिन सभी मांस की दुकानों को बंद रखने का निर्देश दिया गया है। हालांकि, वहां इस पर महाराष्ट्र जैसा बड़ा राजनीतिक विवाद नहीं हुआ है।

जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया

स्थानीय निवासियों की राय बंटी हुई है। कुछ लोगों का कहना है कि स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर मांस बिक्री रोकना कोई गलत बात नहीं, जबकि अन्य इसे व्यक्तिगत पसंद पर गैरजरूरी दखल मान रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इस विषय पर #FoodFreedom और #MeatBan जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।

 

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