मेटा ने भारत को बताया नवाचार का महत्वपूर्ण भागीदार, मार्क जुकरबर्ग के बयान पर माफी मांगी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,16 जनवरी।
नई दिल्ली: मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग द्वारा जो रोगन पॉडकास्ट में किए गए एक विवादास्पद बयान के बाद, मेटा के भारत और दक्षिण एशिया के सार्वजनिक नीति निदेशक श्री शिवनाथ ठुकराल ने सोशल मीडिया पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए माफी मांगी। श्री ठुकराल ने इस बयान को “अनजाने में हुई त्रुटि” बताया और भारत को मेटा के नवाचारों के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार घोषित किया।

श्री शिवनाथ ठुकराल ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के ट्वीट के जवाब में लिखा:
“आदरणीय मंत्री अश्विनी वैष्णव जी, मार्क का यह अवलोकन कि 2024 के चुनावों में कई सत्तारूढ़ दल दोबारा नहीं चुने गए, कई देशों के लिए सही है, लेकिन भारत के लिए नहीं। हम इस अनजाने में हुई गलती के लिए माफी मांगते हैं। भारत मेटा के लिए एक अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण देश बना हुआ है, और हम इसके नवाचार के भविष्य में योगदान करने की उम्मीद करते हैं।”

पृष्ठभूमि में उठा विवाद
जो रोगन पॉडकास्ट में, मार्क जुकरबर्ग ने 2024 के चुनावों को लेकर यह दावा किया था कि कोविड-19 के प्रभाव के कारण अधिकांश सत्तारूढ़ सरकारें चुनाव हार गईं। इसमें भारत का भी जिक्र किया गया, जो तथ्यात्मक रूप से गलत साबित हुआ। 2024 के आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने भारी बहुमत के साथ सत्ता बरकरार रखी थी।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे तथ्यात्मक रूप से गलत करार दिया। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि भारत ने 2024 के चुनावों में 640 मिलियन से अधिक मतदाताओं के साथ एनडीए सरकार में अपना विश्वास व्यक्त किया।

संसदीय समिति की पहल
इस मामले को लेकर, सूचना प्रौद्योगिकी और संचार पर संसदीय स्थायी समिति ने मेटा के अधिकारियों को तलब करने का निर्णय लिया। समिति के अध्यक्ष श्री निशिकांत दुबे ने इस बयान को “भारत की छवि खराब करने वाला” बताया और मेटा से इस पर औपचारिक माफी की मांग की।

मेटा का आश्वासन
मेटा की ओर से माफी जारी करते हुए भारत के साथ भविष्य में सकारात्मक सहयोग और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने का आश्वासन दिया गया। श्री शिवनाथ ठुकराल के इस बयान ने विवाद को शांत करने का प्रयास किया और भारत को मेटा की वैश्विक रणनीति का अहम हिस्सा बताया।

यह घटना दिखाती है कि किसी भी सार्वजनिक मंच पर दिए गए बयान के प्रभाव कितने व्यापक हो सकते हैं, खासकर जब बात विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की हो।

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