समग्र समाचार सेवा
ढाका, 30 जून: बांग्लादेश के कुमिल्ला जिले में अल्पसंख्यक समुदाय की एक महिला से कथित दुष्कर्म के वायरल वीडियो ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। तीन दिन पहले हुई इस घटना के बाद रविवार को ढाका से लेकर विश्वविद्यालय परिसरों तक विरोध और गुस्से की लहर फैल गई।
मुख्य आरोपी समेत पांच गिरफ्तार
कुमिल्ला के पुलिस प्रमुख नजीर अहमद खान ने बताया कि मुख्य आरोपी को राजधानी ढाका के सईदाबाद इलाके से तड़के छापेमारी कर गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा चार और लोगों को महिला की तस्वीर और पहचान सोशल मीडिया पर सार्वजनिक करने के आरोप में पकड़ा गया है। पुलिस ने बताया कि आरोपी को गिरफ्तार करने से पहले इलाके में भारी विरोध हुआ और कई पड़ोसियों ने उसे पकड़ने के बाद अस्पताल पहुंचा दिया, जहां से वह भाग निकला था।
ढाका यूनिवर्सिटी से सड़कों तक विरोध
घटना से गुस्साए ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने कैंपस में मार्च निकाला। अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों ने जगन्नाथ हॉल से जुलूस निकाल कर न्याय की मांग की। छात्र संगठनों ने यूनुस प्रशासन पर कानून व्यवस्था बिगड़ने देने का आरोप लगाया। बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
उच्च न्यायालय ने सख्त आदेश दिया
घटना के बाद वायरल वीडियो को लेकर बांग्लादेश हाईकोर्ट ने अधिकारियों को तत्काल वीडियो हटाने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीशों ने पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उसका इलाज कराने के भी निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने पुलिस को मामले की निष्पक्ष जांच करने को कहा है।
राजनीति में भी गरमाई बहस
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे और सलाहकार रहे साजिब अहमद वाजिद ने सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने लिखा कि पिछले 11 महीनों में भीड़ के हमले, आतंकवाद और बलात्कार की घटनाएं बढ़ी हैं और इसके लिए नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने दावा किया कि शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़े हैं।
हसीना की विदाई के बाद बढ़ा तनाव
गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में हिंसक प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। इसके बाद वह भारत चली गई थीं और मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार संभाली थी। तब से ही बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय पर हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं। कुमिल्ला की घटना ने एक बार फिर इस बहस को तेज कर दिया है कि क्या देश में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं।
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