त्रिदीब रमण
’इतना मलाल तो सूरज को भी हो रहा है तेरे जाने से
तू कब पीछे रहा है बुझे दिलों में चिराग जलाने से’
सुलभ स्वच्छता आंदोलन के पुरोधा पद्म भूषण डॉ. विन्देश्वर पाठक का यूं अचानक चले जाना, स्तब्ध कर देने वाला है। बिहार के एक छोटे से गांव रामपुर बघेल से अपनी यात्रा शुरू करने वाले डॉक्टर पाठक को कहीं शिद्दत से इस बात का इल्म था कि ’वे इतिहास के पन्नों को पलटने के लिए बने हैं’, जब वे एक छोटे बालक थे और उनका पूरा परिवार कर्ज में डूबा था तब उनके ज्योतिषाचार्य नाना ने भविष्यवाणी की थी कि ’यह बालक बड़ा होकर न सिर्फ परिवार को कर्ज मुक्त करेगा अपितु देश दुनिया में परिवार का नाम भी रोशन करेगा।’ 1969 में जब डॉ. पाठक अपने ’ट्विन पिट पोर फ्लश’ सुलभ शौचालय की परिकल्पना लेकर सामने आए तब शायद किसी को भी भरोसा नहीं था कि ’उनका यह अन्वेषण स्वच्छता आंदोलन में सबसे बड़ा मील का पत्थर साबित होगा’, आज लाखों घरों में सुलभ शौचालय हैं, इसके अलावा नौ हजार से ज्यादा देश-विदेश में सुलभ सार्वजनिक शौचालय भी हैं। डॉ. पाठक ने अपने इस सुलभ आंदोलन से न सिर्फ स्वच्छ भारत का नया अलख जगाया, बल्कि उन लाखों स्कैवेंजर परिवारों को भी पुनर्वासित करने की राह दिखाई जो अब से पहले सिर पर मानव मल उठाने पर अभिशप्त थे। महात्मा गांधी के विचारों से अभिप्रेरित रहने वाले डॉक्टर पाठक ने भी बापू की तरह अपने से ज्यादा वंचितों की फिक्र की, बुझे दिलों में रोशन चिराग जलाने की सदैव इच्छा रखने वाले डॉक्टर पाठक ने वृंदावन की विधवा माताओं की जिंदगी में जिजीविषा के कई अध्याय जोड़े, सुलभ आंदोलन को वे दीवानगी की हद तक चाहते थे और हमेशा कहा करते थे कि ’स्वच्छता का यह कार्य उन्हें अपने परिवार से भी प्यारा है’, इस 15 अगस्त को भी जब उन्होंने अपना नश्वर शरीर त्यागा तब भी वे सुलभ परिसर में ही झंडातोलन करने के बाद आजादी का उत्सव मना रहे थे। सच पूछिए तो उनका पूरा किरदार ही एक दीए के मानिंद था, स्वयं जलते रहे पर रोशन औरों को किया, कितने बुझे मन में आशा की नई जोत जलाई, उस महामानव को शत-शत नमन!
राहुल अपने पुराने घर क्यों नहीं लौटना चाहते
सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल हो गई है और उन्हें उनका पुराना घर 12 तुगलक लेन मोदी सरकार ने फिर से आबंटित भी कर दिया है, पर गांधी परिवार से जुड़े विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि ’राहुल जिस घर में पिछले 17 वर्ष तक रहे, अब वे वहां दुबारा जाना नहीं चाहते।’ कहते हैं इस घर में कोई वास्तुदोष है जो उनकी राजनैतिक यात्रा में अवरोध उपस्थित करता है। राहुल जब 12 तुगलक लेन में रहते थे तो अपना सारा काम-काज वहीं से चलाते थे, उन्होंने अपने स्टॉफ के बैठने के लिए और लोगों से मिलने के लिए कुछ अस्थाई ढांचों का निर्माण भी करवाया था, पर जब केंद्र सरकार ने यह घर उनसे छिना तो ये तमाम निर्माण ढाह दिए गए। यानी राहुल को अगर फिर से इस घर में रहते हुए अपना काम-काज चलना है तो उन्हें अपने कर्मचारियों के लिए यहां फिर से कोई अस्थाई ढांचा तैयार करवाना होगा। राहुल करीबियों का कहना है कि ’अब सरकार चाहे उन्हें कोई छोटा घर ही आबंटित कर दें, पर राहुल उसका वास्तु देख कर ही वहां प्रवेश करेंगे।’ शायद इसीलिए राहुल की नज़र 7 सफदरजंग लेन स्थित बंगले पर भी है।
मोदी के टार्गेट पर महिला मतदाता
पिछले कुछ सालों में मोदी और भाजपा का रूझान और भरोसा महिला मतदाताओं के लिए ज्यादा बढ़ा है। भाजपा रणनीतिकारों का भरोसा है कि ’2024 के आम चुनाव में महिला वोटर भाजपा के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है।’ भाजपा के अपने अंदरूनी सर्वे भी खुलासा करते हैं कि पिछले कुछ चुनावों से महिला वोटरों के वोट देने के प्रतिशत में तेज उछाल आया है, यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव में तो कई-कई बूथों पर महिला वोटरों का टर्न आउट प्रतिशत पुरूष वोटरों की तुलना में कहीं ज्यादा था। भाजपा का कहीं शिद्दत से मानना है कि ’महिला एक साइलेंट वोटर है जो किसी भी चुनावी परिणाम को उलटफेर करने का माद्दा रखती है।’ पिछले कई विधानसभा चुनाव में यह ट्रेंड देखने को मिला है कि महिला वोटर वोट देने के लिए बड़ी संख्या में घर से बाहर निकल रही हैं। शायद यही वजह है कि इस दफे लालकिले की प्राचीर से पीएम ने एसएचजी यानी सेल्फ हेल्प ग्रुप या स्वयं सहायता समूहों की बात की। नारी शक्ति की बात की। भाजपा का भरोसा है कि केवल स्वयं सहायता समूहों को टार्गेट कर 10 करोड़ महिलाओं तक अपनी पहुंच बनाई जा सकती है, बिहार, बंगाल व आंध्र प्रदेश ऐसे राज्य हैं जहां स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सबसे ज्यादा महिलाओं के बैंक अकाऊंट्स खुले हैं।
कांग्रेस का बिहार संकट
इस 17 अगस्त को कांग्रेस की बिहार इकाई के तकरीबन 40 नेताओं की एक अहम मीटिंग कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ होनी थी, पर ऐन वक्त यह मीटिंग 10-12 दिनों के लिए टाल दी गई है, जबकि इस मीटिंग में शामिल होने के लिए कांग्रेस के ये नेतागण दिल्ली पहुंच चुके थे। पूर्व नियोजित कार्यक्रम के मुताबिक इस मीटिंग को 4 घंटे चलनी थी और इस बैठक में राहुल गांधी को भी मौजूद रहना था। पर हिमाचल प्रदेश में बारिश का हवाला देकर ऐन वक्त यह मीटिंग टाल दी गई, बाद में इन नेताओं को वीपी हाऊस में बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने लंच पर आमंत्रित कर लिया। कहते हैं इस मीटिंग का मुख्य एजेंडा बिहार में गठबंधन धर्म में कांग्रेस की स्थिति को लेकर था। यह भी माना जा रहा है कि राहुल गांधी प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह और प्रदेश प्रभारी भक्तचरण दास के उस बयान से भी नाखुश बताए जा रहे थे, जिस बयान में इन दोनों नेताओं ने गठबंधन के तहत कांग्रेस के लिए 8 लोकसभा सीटों की मांग कर दी थी। राहुल को लगता है कि बिहार में कांग्रेस का हिस्सा इससे कहीं ज्यादा बड़ा होना चाहिए। नहीं तो अब तलक भक्तचरण दास की गया, मीरा कुमार की सासाराम और तारिक अनवर की कटिहार की लोकसभा सीटों पर नज़र है। एआईसीसी में बिहार के जितने भी मुस्लिम नेता शामिल हैं वे सभी सीमांचल के हैं चाहे वे तारिक हों, डॉ. शकील या फिर जावेद।
भाजपा ने नीतीश को भाव नहीं दिया
लगता है भाजपा व नीतीश कुमार के दरम्यान अब बातचीत के तमाम रास्ते बंद हो गए हैं, नहीं तो अब तक राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश भाजपा शीर्ष व नीतीश के दरम्यान सुलह-सफाई की कोशिश कर रहे थे। जब इस बार नीतीश दिल्ली आए तो उन्होंने अपरोक्ष तौर पर भाजपा हाईकमान के समक्ष इतनी भारी भरकम मांग रख दी कि दोनों पार्टियों में कुट्टी की स्थिति बन गई है। एक तो नीतीश चाहते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव भी लोकसभा के साथ करा दिए जाएं, दूसरा उनकी पार्टी को लड़ने के लिए बिहार की 243 में से 150 सीटें दी जाए। भाजपा अब बिहार में नीतीश का लोभ छोड़ कर अपने प्लॉन ’ए‘ को ही मूर्त रूप देने में जुट गई है। तेजस्वी को चारों तरफ से घेरने की तैयारी है, उनकी गिरफ्तारी भी संभव है। अगर खुदा न खास्ते तेजस्वी गिरफ्तार हो जाते हैं तो अपने स्वास्थ्यगत कारणों से लालू घूम-घूम कर राज्य भर में चुनाव प्रचार करने में असमर्थ हैं। बचे तेज प्रताप तो वे जब भी मुंह खोलते हैं तो राजद का ही नुकसान हो जाता है। सो, इस बार जब नीतीश दिल्ली पधारे तो भाजपा के शीर्ष नेताओं ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया।
…और अंत में
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की कमान एक भूमिहार नेता अजय राय को सौंप दी है। जो कांग्रेस के अंदर हिंदुत्व की अलख जगाए रखने के लिए जाने जाते हैं, ये खुद भी बाहुबली नेताओं में शुमार होते हैं, और इनका मुख्तार अंसारी से छत्तीस का आंकड़ा है, इनकी गवाही पर ही मुख्तार को जेल जाना पड़ा है। कहते हैं अजय राय की कांग्रेस में एंट्री दिग्विजय सिंह की पत्रकार पत्नी अमृता राय ने करवाई है। अजय राय को प्रियंका गांधी के थिंक टैंक के बेहद करीबी माना जाता है। अजय राय एक मुखर नेता हैं, जिन्होंने अपनी राजनीति भाजपा से शुरू की, फिर वे सपा में गए और आज वे कांग्रेस में हैं। इन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ बनारस से चुनाव लड़ा था, पर हार गए थे। (एनटीआई-gossipguru.in)
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