एमके स्टालिन ने भाजपा पर किया हमला: करूर घटना और कच्चातिवु मुद्दे पर केंद्र सरकार निष्क्रिय

समग्र समाचार सेवा
रामनाथपुरम, 3 अक्टूबर: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शुक्रवार को रामनाथपुरम में आयोजित सभा में भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र सरकार राज्य के हितों की उपेक्षा कर रही है और केवल चुनावी लाभ के लिए कार्रवाई करती है। उन्होंने करूर में हुई भगदड़ और उससे हुई मौतों का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा की संवेदनशीलता केवल आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर है।

स्टालिन ने कहा, “तमिलनाडु तीन बड़ी प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में था, जिसने हजारों लोगों को प्रभावित किया। तब केंद्रीय वित्त मंत्री न तो यहां आईं और न ही कोई धनराशि मुहैया कराई। लेकिन अब करूर में तुरंत टीम भेजी जा रही है। ऐसा किसी वास्तविक चिंता के कारण नहीं, बल्कि चुनावी फायदा उठाने के लिए किया जा रहा है।”

उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि पार्टी मणिपुर दंगों, गुजरात की घटनाओं या कुंभ मेले में हुई मौतों पर कभी जांच आयोग नहीं भेजती। स्टालिन ने कहा, “भाजपा सोचती है कि करूर की घटना से वे राजनीतिक लाभ उठा सकते हैं या किसी को डराने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। भाजपा ऐसी स्थिति में है जहां वह किसी और का खून चूसकर जीवित रहती है।”

सीएम ने AIADMK पर भी निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष के रूप में AIADMK ने भाजपा के साथ गठबंधन कर खुद को कठपुतली बना लिया है। स्टालिन ने कहा, “जो लोग दोषी हैं और अपने गलत कामों से बचना चाहते हैं, वे भाजपा को अपने कर्मों को शुद्ध करने का साधन मानते हैं। भाजपा पलानीस्वामी का इस्तेमाल रैली से रैली, मंच से मंच और सड़क से सड़क तक यात्रा कराने के लिए कर रही है ताकि और सहयोगी उनके साथ जुड़ें।”

उन्होंने कहा कि जो लोग वास्तव में तमिलनाडु और तमिल लोगों की चिंता करते हैं, वे भाजपा के साथ गठबंधन कभी नहीं करेंगे। स्टालिन ने भाजपा को RSS का विभाजनकारी राजनीतिक अंग करार देते हुए कहा कि आगामी चुनावों में द्रविड़ मॉडल की सरकार ही जीतेगी और शासन जारी रखेगी।

सीएम ने कच्चातिवु द्वीप का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा, “हमारे मछुआरों पर श्रीलंकाई नेवी ने हमला किया, लेकिन केंद्र सरकार ने कुछ नहीं किया। हमने तमिलनाडु विधानसभा में कच्चातिवु को वापस लेने का प्रस्ताव पारित किया और केंद्र को भेजा। केंद्र सरकार को श्रीलंकाई सरकार से अपील करनी चाहिए थी, लेकिन उसने ऐसा करने से इंकार कर दिया।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्रीलंका गए और उन्होंने भी इस मामले में कोई सकारात्मक पहल नहीं की।

स्टालिन का यह भाषण भाजपा के खिलाफ कड़ा संदेश माना जा रहा है और इसके माध्यम से राज्य में चुनावी राजनीति और केंद्र-राज्य संबंधों पर जोर दिया गया है। उनकी रैली में हजारों समर्थक मौजूद थे, जिन्होंने उनके हर बयान पर तालियों और नारेबाजी से समर्थन जताया।

 

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