मोदी सरकार का गर्मी प्रबंधन मॉडल वैश्विक मंच पर सराहा गया: जिनेवा सम्मेलन में डॉ. मिश्रा का संबोधन

समग्र समाचार सेवा,

जिनेवा, 7 जून: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अत्यधिक गर्मी से उत्पन्न संकट से निपटने के लिए एक सक्रिय, समग्र और दूरदर्शी रणनीति अपनाई है। यह बात प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने जिनेवा में ‘अत्यधिक गर्मी जोखिम प्रबंधन’ पर आयोजित विशेष सत्र में अपने मुख्य भाषण के दौरान कही।

डॉ. मिश्रा ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उस आह्वान का समर्थन किया जिसमें अत्यधिक गर्मी को एक वैश्विक संकट बताया गया है और इसके समाधान की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि अत्यधिक तापमान न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य बल्कि आर्थिक स्थिरता और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी गंभीर खतरा बनता जा रहा है।

डॉ. मिश्रा ने बताया कि भारत अब केवल आपदा के बाद प्रतिक्रिया देने वाले देश की छवि से आगे बढ़ चुका है और अब वह जोखिम को पहले से पहचानकर तैयारी व रोकथाम पर आधारित नीति पर कार्य कर रहा है। 2016 से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा गर्म हवाओं से निपटने के लिए राष्ट्रीय दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं, जिन्हें 2019 में संशोधित किया गया। इन दिशा-निर्देशों के आधार पर विकेंद्रीकृत “गर्मी कार्य योजनाएं” (Heat Action Plans) विकसित की गई हैं।

उन्होंने अहमदाबाद की गर्मी कार्य योजना का विशेष रूप से उल्लेख किया, जिसने अंतर-एजेंसी समन्वय, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से जान बचाने का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। वर्तमान में देश के 23 अत्यधिक गर्मी प्रभावित राज्यों के 250 से अधिक शहरों और जिलों में ये योजनाएं सक्रिय रूप से लागू हैं।

प्रधान सचिव ने कहा कि अस्पतालों की तैयारी, सार्वजनिक जागरूकता अभियानों और निगरानी तंत्र को मजबूत करने से गर्मी से होने वाली मौतों में उल्लेखनीय कमी आई है। उन्होंने जोर दिया कि भारत का दृष्टिकोण “पूरी सरकार और पूरे समाज” का है, जिसमें स्वास्थ्य, कृषि, विद्युत, शहरी विकास, श्रम और जल मंत्रालय सहित कई विभाग एक साथ कार्य कर रहे हैं।

डॉ. मिश्रा ने बताया कि भारत ने पारंपरिक ज्ञान, स्थानीय अनुभव और जलवायु शिक्षा को भी अपनी रणनीतियों में शामिल किया है। विद्यालयों में बच्चों को जलवायु अनुकूल व्यवहार सिखाया जा रहा है, जिससे व्यवहार में परिवर्तन आ सके।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत शीतल छतों, शहरी हरियाली, पारंपरिक जल स्रोतों के पुनरुद्धार, और निष्क्रिय शीतलन केंद्रों जैसी तकनीकों को अपनाकर शहरी ताप प्रभाव को कम करने की दिशा में भी कार्य कर रहा है। इसके अतिरिक्त, राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (SDMF) से अब गर्मी कम करने की परियोजनाओं को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

अंत में डॉ. मिश्रा ने कहा कि भारत यूएनडीआरआर (UNDRR) की उस पहल का स्वागत करता है जो वैश्विक स्तर पर साझा शिक्षा, मार्गदर्शन और सहयोग को बढ़ावा देकर अत्यधिक गर्मी से निपटने की सामान्य रूपरेखा को सशक्त बनाने की दिशा में कार्य कर रही है।

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