समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 9 अक्टूबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुंबई में अपने ब्रिटिश समकक्ष कीर स्टार्मर से महत्वपूर्ण बैठक की। यह मुलाकात भारत और यूके के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाने और विजन 2035 रोडमैप पर साझा दृष्टिकोण विकसित करने के उद्देश्य से आयोजित की गई।
बैठक में दोनों देशों ने व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, रक्षा, जलवायु और शिक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया। इस अवसर पर चर्चा में सीईओ फोरम और ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 में भागीदारी की संभावनाओं पर भी विचार किया गया।
ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर के साथ मुंबई में 125 प्रमुख व्यापारिक नेता, उद्यमी और शिक्षाविद भी मौजूद थे। यह यात्रा भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर के ढाई महीने बाद हो रही है। इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच बाजार पहुंच में वृद्धि, शुल्क में कमी और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होने की उम्मीद जताई गई है।
PM Narendra Modi and UK PM Keir Starmer hold a meeting in Mumbai, Maharashtra.
(Pics: ANI/DD News) pic.twitter.com/IhrCZzk7dK
— ANI (@ANI) October 9, 2025
प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई में लंदन यात्रा के दौरान इस व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया था। कीर स्टार्मर ने इसे दोतरफा विकास के लिए ‘लॉन्चपैड’ बताते हुए कहा कि यह भारत को 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने के मार्ग पर आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक कागज का टुकड़ा नहीं है, बल्कि विकास का एक लॉन्चपैड है। इससे व्यापार तेज और किफायती होगा।”
बैठक में दोनों नेताओं ने व्यापार और रक्षा सहयोग के साथ-साथ सुरक्षा और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में साझेदारी को और मजबूती देने पर जोर दिया। भारतीय पक्ष ने ब्रिटेन में सक्रिय खालिस्तान समर्थक तत्वों की गतिविधियों पर चिंता जताई और विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे भगोड़ों के प्रत्यर्पण की भी संभावना जताई।
विशेषज्ञों के अनुसार यह बैठक भारत-यूके संबंधों को नई दिशा देने और द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश को गति प्रदान करने के लिहाज से अहम है। साथ ही, यह रणनीतिक सहयोग दोनों देशों के लिए आर्थिक और सुरक्षा लाभ सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण साबित होगा।
प्रधानमंत्री मोदी और कीर स्टार्मर की यह वार्ता दोनों देशों के ऐतिहासिक व्यापार और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के संकेत के रूप में देखी जा रही है। आगामी वर्षों में भारत-यूके सहयोग को लेकर इन पहलों से वैश्विक आर्थिक मंच पर दोनों देशों की स्थिति और सुदृढ़ होगी।
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