हंगामे ने बाधित की लोकसभा कार्यवाही: विपक्ष का विरोध, कार्यवाही स्थगित

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21 जुलाई: मानसून सत्र की शुरुआत में ही विपक्षी हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही को अचानक दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। जैसे ही स्पीकर ने सदन खोलने की घोषणा की, विपक्षी सांसद गरज उठे— नारेबाजी और खड़े होकर विरोध करने लगे।

कार्यवाही की शुरूआत और श्रद्धांजलि अनुशासन

सुबह 11:01 बजे मानसून सत्र शुरू हुआ। लोकसभा में दिवंगत पूर्व सांसदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई, तो राज्यसभा में नए सांसदों को पद की शपथ दिलाई गई। ऐसा प्रतीत हुआ कि सत्र सुचारु रूप से आगे बढ़ेगा, लेकिन संसद खोलते ही पूरा माहौल बदल गया।

विपक्ष की तीखी रणनीतिः स्थगन ही विकल्प

विरोधी गठबंधन ने विशेष रूप से पहलगाम हमले, ऑपरेशन सिंदूर, ट्रंप के मध्यस्थता दावे, और बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण जैसे मुद्दों को सदन में उठाने की रणनीति बनाई थी। इसमें रेणुका चौधरी, टीआर बालू, सैयद नसीर हुसैन और संदोष कुमार सहित अनेक सांसदों ने नियम 267 के तहत स्थगन प्रस्ताव दिया। जब सरकार ने इन मुद्दों पर चर्चा से इंकार किया, तो सदन हंगामे से भर गया और इसकी गतिविधियों को रोकना पड़ा।

पीएम ने दिखाई ऊर्जा, लेकिन विपक्षी माहौल बदल गया

मानसून सत्र से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने संदेश दिया कि यह सत्र “गौरवपूर्ण” होगा। अंतरिक्ष कार्यक्रम, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता, और वैश्विक सैन्य शक्ति पर गौर करते हुए उन्होंने सांसदों से एकता का संदेश दिया था। उन्होंने कहा, “22 मिनट में आतंकियों के ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया गया”— यह क्षण देश के लिए गर्व का था।

लेकिन विपक्ष ने इन बातों पर चुप्पी नहीं साधी। संसद में ही नारेबाजी शुरू हो गई और लोकतंत्र की गरिमा पर सवाल उठने लगे।

स्थगन क्यों जरूरी हो गया?

विरोध के चलते सदन का मंत्रमुग्ध कर देने वाला माहौल टूट गया। स्थगन के बाद बात चालू मुद्दों की नहीं, बल्कि संसद के चरित्र और संविधानिक मर्यादाओं की क्योंट्री हो गई। राजनीतिक गलियारों में चर्चित है कि स्थगन के समय तक लगभग आधे सांसद विरोध में सक्रिय थे— जो संसद के संचालन को असंभव बना रहे थे।

 

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