“नैतिकता चुनाव हार-जीत से नहीं बदलती”: राहुल गांधी पर अमित शाह का प्रहार, 130वें संशोधन का बचाव

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 अगस्त: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी की नैतिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी सोच लगातार चुनावी हार के बाद बदल गई है। शाह ने 2013 की उस घटना का जिक्र किया जब राहुल गांधी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कैबिनेट द्वारा लाए गए अध्यादेश को सार्वजनिक रूप से फाड़ दिया था। यह अध्यादेश सजायाफ्ता नेताओं को बचाने के लिए लाया गया था, जिससे राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सीधा लाभ मिलता।

शाह ने तंज कसते हुए कहा, “राहुल जी ने उस समय अध्यादेश क्यों फाड़ा था? अगर उस दिन नैतिकता थी, तो अब क्या हुआ? क्या लगातार तीन चुनाव हार जाने से नैतिकता बदल जाती है? नैतिकता सूर्य और चंद्रमा की तरह स्थिर होनी चाहिए, चुनावी हार-जीत से नहीं।”

130वां संशोधन: क्या है प्रावधान?

शाह संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 का बचाव कर रहे थे। यह विधेयक कहता है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री अगर किसी गंभीर अपराध में गिरफ्तार होकर 30 दिन से अधिक जेल में रहते हैं, तो उन्हें स्वतः पद से हटना होगा।

गृह मंत्री ने कहा, “यह संशोधन सभी दलों और नेताओं पर समान रूप से लागू होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अपने पद को भी इस कानून के दायरे में रखा है। पहले इंदिरा गांधी ने 39वें संशोधन से शीर्ष पदों को न्यायिक समीक्षा से बाहर किया था, लेकिन मोदी जी ने इसके उलट अपने खिलाफ संशोधन लाया है।”

विपक्ष की आलोचना और शाह का जवाब

विपक्ष ने इस बिल को “ब्लैक बिल” बताते हुए कहा है कि भाजपा इसका इस्तेमाल गैर-भाजपा सरकारों को गिराने और नेताओं को जेल में रखकर सत्ता अस्थिर करने के लिए कर सकती है।

इस पर शाह ने कहा, “क्या प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जेल से देश चला सकते हैं? संविधान निर्माताओं ने भी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं की थी। अगर कोई नेता 30 दिनों तक जेल में रहेगा, तो अदालतें गंभीरता से सुनवाई करेंगी और तय करेंगी कि उसे जमानत मिलनी चाहिए या नहीं।”

शाह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का उदाहरण देते हुए कहा कि जेल में रहने के बावजूद उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। उन्होंने जोड़ा कि अगर किसी को जमानत मिल जाती है, तो वह फिर से शपथ लेकर पद संभाल सकता है।

राजनीतिक गरमा-गरमी

यह विधेयक फिलहाल संसदीय संयुक्त समिति (JPC) को भेजा गया है, जिसमें 31 सदस्य शामिल हैं। पारित होने के लिए इसे संसद में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी।

शाह ने भरोसा जताया कि विपक्ष के भीतर भी कई नेता नैतिकता के आधार पर इस संशोधन का समर्थन करेंगे।

 

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