स्वस्थ इकोसिस्टम के लिए समुद्र में अधिक अनुकूल और हरित कार्य-प्रणालियां आवश्यक हैं: राष्ट्रपति मुर्मु
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27अक्टूबर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज चेन्नई, तमिलनाडु में भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह में भागीदारी की और इस कार्यक्रम को संबोधित किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा और 1,382 अपतटीय द्वीपों के साथ भारत की समुद्री स्थिति उल्लेखनीय है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों पर रणनीतिक स्थलों के अलावा, भारत के पास 14,500 किलोमीटर लंबे संभावित नौगम्य जलमार्ग हैं। देश का समुद्री क्षेत्र इसके व्यापार और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि देश का 95 प्रतिशत व्यापार मात्रा के अनुसार और 65 प्रतिशत व्यापार मूल्य के अनुसार समुद्री परिवहन के माध्यम से किया जाता है। तटीय अर्थव्यवस्था 4 मिलियन से अधिक मछुआरों का भरण-पोषण करती है और लगभग 2,50,000 मछली पकड़ने वाली नौकाओं के बेड़े के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस क्षेत्र की क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने से पूर्व हमें कई चुनौतियों से गुजरना होगा। उन्होंने कहा कि गहराई पर प्रतिबंध के कारण बहुत सारे कंटेनर जहाजों के माल को पास के विदेशी बंदरगाहों पर ले जाया जाता है। उन्होंने कहा कि व्यापारी और नागरिक जहाज निर्माण उद्योग में, हमें दक्षता, प्रभावकारिता और प्रतिस्पर्धात्मकता के उच्चतम मानकों का लक्ष्य रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय बंदरगाहों की परिचालन दक्षता को इस बदलते हुए समय में वैश्विक औसत बेंचमार्क से तालमेल बनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारतीय बंदरगाहों को अगले स्तर पर पहुंचने से पहले बुनियादी ढांचे और परिचालन संबंधी चुनौतियों का समाधान करना होगा। उन्होंने कहा कि सागरमाला कार्यक्रम “बंदरगाह विकास” से “बंदरगाह आधारित विकास” की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु आपदा हमारे समय की सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक है जिसमें तापमान और समुद्र का बढ़ता स्तर शामिल है। समुद्री क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन से होने वाले प्रभावों से मुक्त रखने के लिए त्वरित, सक्रिय और शीघ्र कार्यवाही की जरूरत है, जिससे विशेषकर कमजोर समुदायों के बीच आजीविका बाधित होने का खतरा उत्पन्न न हो सके। उन्होंने कहा कि छात्रों की व्यावसायिक जिम्मेदारी ही नहीं अपितु इकोसिस्टम को मजबूत बनाए रखने के प्रति भी उनका दायित्व है। समय की मांग है कि नौवहन सहित समुद्र संबंधी दीर्घकालिक और कुशल गतिविधियों का संचालन किया जा सके। स्वस्थ इकोसिस्टम के लिए समुद्र में अधिक अनुकूल और हरित कार्यप्रणालियों को अपनाना भी आवश्यक हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि सबसे नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक होने के बावजूद, भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय ने अपनी योग्यता सिद्ध की है। इसमें समुद्री शिक्षा, अनुसंधान, प्रशिक्षण, शैक्षणिक भागीदारी और क्षमता निर्माण के लिए विश्व स्तर पर प्रशंसित उत्कृष्टता केंद्र के रूप में निखरने की क्षमता है, जबकि समुद्री कानून, महासागर प्रशासन और समुद्री विज्ञान जैसे संबद्ध विषयों में अपनी विशेषज्ञता का विस्तार करने की भी क्षमता है।
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