समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1नवंबर। मराठा समुदाय के आरक्षण की मांग को लेकर हिंसा के बीच मध्य महाराष्ट्र में मराठवाड़ा क्षेत्र के पांच जिलों में राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) की बस सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी गयी हैं. निगम के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
परभनी, धाराशिव, लातूर, जालना और नांदेड़ जिलों में पिछले तीन-चार दिनों से बस सेवाएं पूरी तरह निलंबित हैं और बीड, छत्रपति संभाजीनगर और सोलापुर जिलों में कुछ हद तक बस सेवाओं पर असर पड़ा है.
वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने मराठवाड़ा क्षेत्र में मराठा को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया तय करने के लिए नियुक्त उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे की अध्यक्षता वाली समिति की पहली रिपोर्ट मंगलवार को स्वीकार कर ली है.
इस आंदोलन के चलते सोमवार शाम को राज्य में एमएसआरटीसी के 250 में से 36 डिपो बंद रहे. उनके अनुसार पिछले चार दिन में निगम की 85 से अधिक बसों को नुकसान पहुंचाया गया है, सबसे अधिक 70 बसें बीड जिले में क्षतिग्रस्त कर दी गयी जबकि चार बसों को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया.
आग लगाने के मामले में 50 से 55 लोगों की पहचान की
उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि अधिकारियों ने 50 से 55 लोगों की पहचान की है जो मौजूदा मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसक गतिविधियों में शामिल थे. उन्होंने कहा कि दोषियों को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों द्वारा हिंसा और आगजनी की निंदा की, जिन्होंने सोमवार को बीड और छत्रपति संभाजीनगर जिलों में आंदोलन के दौरान तीन विधायकों के अलावा कुछ स्थानीय नेताओं के आवासों या कार्यालयों को निशाना बनाया और एक नगर परिषद भवन में आग लगा दी
एमएसआरटीसी को अब तक चार करोड़ रुपये का नुकसान उठाया
आरक्षण के चलते आंदोलन तब तेज हुआ जब आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने 25 अक्टूबर को इस मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू कर दिया. अधिकारी ने बताया कि एमएसआरटीसी को अब तक चार करोड़ रुपये का नुकसान उठाया है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा निगम को बस सेवाएं निलंबित रहने के कारण रोजाना दो से ढाई करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है. निगम के बेड़े में करीब 15,000 बसें हैं, जिनमें प्रतिदिन करीब 60 लाख लोग यात्रा करते हैं.
महाराष्ट्र सरकार ने मराठवाड़ा क्षेत्र में मराठा को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया तय करने के लिए नियुक्त उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे की अध्यक्षता वाली समिति की पहली रिपोर्ट मंगलवार को स्वीकार कर ली. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. कुनबी समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आरक्षण के लिए पात्र है. मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर कार्यकर्ता मनोज जरांगे के अनिश्चितकालीन अनशन और राज्य के कुछ हिस्सों में इस मांग को लेकर हिंसा की घटनाओं के बीच यह फैसला आया है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य मंत्रिमंडल ने यह भी निर्णय लिया कि ओबीसी आयोग मराठा समुदाय के शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन का आकलन करने के लिए नए आंकड़े एकत्र करेगा.
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