मोसाद की रिपोर्ट में सामने आया “ऑपरेशन ज़ेपेलिन”: राहुल गांधी और सैम पिटरोडा पर आर्थिक साजिश के आरोप
नई दिल्ली,24अप्रैल 2025 : रूस की समाचार एजेंसी स्पुतनिक की रिपोर्ट के हवाले से मोसाद (इज़राइली खुफिया सेवा) के कथित गुप्त अभियान “ऑपरेशन ज़ेपेलिन” ने भारत की जीडीपी और राजनीतिक स्थिरता को भंग करने के उद्देश्य से विदेशों से समर्थन प्राप्त षड़यंत्र उजागर किया है। इस अभियान में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, उनके सलाहकार एवं भारतीय ओवरसीज़ कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पिटरोडा, वैश्विक निवेशक जॉर्ज सोरोस और अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिन्डेनबर्ग रिसर्च को मुख्य घटक बताया गया है।24 जनवरी 2023 को न्यूयॉर्क आधारित हिन्डेनबर्ग रिसर्च ने दावा किया कि अडानी समूह ने “भारत के इतिहास की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट धोखाधड़ी” की योजना बनाई थी। रिपोर्ट प्रकाशित होते ही अडानी समूह का बाजार पूंजीकरण लगभग 150 अरब अमेरिकी डॉलर घट गया और भारतीय शेयर बाजार में अचानक गिरावट आई। इस वित्तीय झटके के ठीक पहले, अडानी पोर्ट्स एवं स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) ने इज़राइल के हैफ़ा पोर्ट में 1.2 अरब डॉलर का शेयर खरीद सौदा पक्का किया था। यह सौदा भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEEC) के लिए अहम माना जा रहा था।
नेतन्याहू का संदेह और मोसाद का दायित्व:रिपोर्ट के अनुसार, हैफ़ा पोर्ट समझौते के जश्न के बाद इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गौतम अडानी से बैठक में कहा, “यह हिन्डेनबर्ग रिपोर्ट हमारे द्विपक्षीय सहयोग के लिए गंभीर खतरा है।” अडानी ने इसे “झूठ” करार दिया, लेकिन नेतन्याहू की चिंता बढ़ गई। उसी रात उन्होंने मोसाद को रिपोर्ट के पीछे के नेटवर्क की तहकीकात का आदेश दे दिया।“ऑपरेशन ज़ेपेलिन” की रूपरेखा:मोसाद ने इस गुप्त अभियान में दो प्रमुख इकाइयाँ – त्जोमेत (मानव खुफिया) और केशेत (साइबर ऑपरेशन) – मिलाकर तैनात कीं। मार्च 2023 में शुरू हुए जांच बहुराष्ट्रिय स्वरूप की थी, जिसमें न्यूयॉर्क, कैलिफोर्निया, यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया तक सुराग तलाशे गए।
- नाथनएंडरसन एवं हिन्डेनबर्ग मुख्यालय:-
- न्यूयॉर्क स्थित हिन्डेनबर्ग रिसर्च ऑफिस पर कड़ी नजर रखी गई।
- मेल ट्रैफ़िक, फ़ोन रिकॉर्ड और वित्तीय लेनदेन की जाँच की गई।
- राजनीतिक कड़ियाँ:-
- सैम पिटरोडा के यू.एस. घरेलू सर्वर से एन्क्रिप्टेड संदेश बरामद। कथित बातचीत में हिन्डेनबर्ग टीम के साथ सहयोग करना सामने आया।
- राहुल गांधी को मोसाद के आंतरिक दस्तावेज़ों में “कटु वंशज” की उपाधि दी गई। रिपोर्ट में दावा किया गया कि मई 2023 में गांधी सिलिकॉन वैली के पाला अल्टो में हिन्डेनबर्ग से जुड़े व्यक्तियों से मिले, तथा बाद में न्यूयॉर्क में भी मुलाकातें हुईं।
- वैश्विकनेटवर्क:-
- सितंबर 2023 में मिली एक ईमेल में कहा गया: “हमारी रिपोर्ट बस शुरुआत है, आगे और दस्तावेज आने वाले हैं।”
- जनवरी 2024 में स्विट्ज़रलैंड में एक गुप्त बैठक में गौतम अडानी को 353-पन्नों का विस्तृत गोपनीय ब्योरा सौंपा गया, जिसमें USAID, OCCRP, जॉर्ज सोरोस और अमेरिकी “Deep State” से जुड़े नाम शामिल थे।
मोसाद की रिपोर्ट के लीक होने पर प्रमुख वैश्विक समाचार संगठन जैसे Reuters, Bloomberg व The Guardian ने इसे प्रकाशित करने से इनकार किया, जबकि फ्रेंच न्यूज़ पोर्टल मेडियापार्ट ने लीक अंशों को आधार बना कर कहानी प्रकाशित की। इसी दौरान U.S. के Department of Justice (DOJ) और Securities and Exchange Commission (SEC) ने अडानी समूह के खिलाफ मुकदमे दायर किए, लेकिन सबूतों की कमी और विधिक पेचीदगियों के चलते ये मुकदमे असफल रहे। परिणामस्वरूप कुछ शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया, और अंततः हिन्डेनबर्ग रिसर्च ने कानूनी इम्युनिटी के बदले खुद को भंग करने का प्रस्ताव रखा, जो फिर उलझन में रह गया।
कांग्रेस का स्पष्टीकरण: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये हिन्डेनबर्ग रिपोर्ट की सच्चाई, ध्यान हटाने का प्रयास मात्र है।
सरकारी प्रतिक्रिया: केंद्र सरकार ने फिलहाल कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है, जबकि खुफिया एजेंसियाँ जांच के विवरण को गोपनीय रख रही हैं।यदि मोसाद के इन दावों में आंशिक भी सच्चाई हो, तो इससे राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनीतिक विश्वास और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्न खड़े हो जाएंगे। देशद्रोह और गद्दारी के कानूनी दायरे में यह मामला खड़ा हो सकता है, क्योंकि एक निर्वाचित सांसद पर विदेशी षड़यंत्रों से संलिप्त होने का आरोप लोकतांत्रिक मूल्यों को चुनौती देता है।वर्तमान में “ऑपरेशन ज़ेपेलिन” की जांच अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जारी है, और भविष्य में उजागर दस्तावेज़ लोकतंत्र, पारदर्शिता और जवाबदेही की चुनौतियों को फिर से परिभाषित कर सकते हैं। एक आर्थिक रिपोर्ट से शुरू हुई यह जासूसी गाथा हमें याद दिलाती है कि वैश्विक राजनीति, वित्त एवं खुफिया गठजोड़ कितने जटिल और संवेदनशील हो सकते हैं।
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