मुंबई की विरासत है सांस्कृतिक एकात्मता – सांसद कुमार केतकर

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21मार्च।
थिएटर, साहित्य, सिनेमा, खेल, सामाजिक तथा राजनीतिक घटनाओं का केंद्र, महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई, देश के सांस्कृतिक एकात्मता की विरासत है. यह प्रतिपादन वरिष्ठ पत्रकार एवं सांसद कुमार केतकर ने आज किया.
महाराष्ट्र सूचना केंद्र द्वारा आयोजित महाराष्ट्र हीरक महोत्सव व्याख्यान श्रंखला में आज तीसरे दिन वे ‘महाराष्ट्र की मुंबई विरासत’ इस विषय पर बोल रहे थे.
श्री केतकर ने आगे कहा कि मुंबई का व्यक्तित्व मुख्य रूप से गिरनगांव तथा यहां की थिएटर से प्रभावित है. उन्होंने कहा कि मुंबई सम्मिलित महाराष्ट्र के निर्माण को लेकर 10 से 15 वर्षों तक कड़े आंदोलन हुए. संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन में शाहिर अमर शेख, अन्नाभाऊ साठे, गव्हानकर जैसे शाहिरों ने अपना प्रभाव छोड़ा है और इसके संस्कार भी मुंबई के गिरनगांव पर देखने मिले हैं. उन्होंने कहा कि आगे चलकर महाराष्ट्र निर्माण हुआ तथा मुंबई राज्य की राजधानी घोषित हुई. तदपश्चात, मुंबई का चित्र गति के साथ परिवर्तित होने लगा.
श्री केतकर ने यह भी कहा कि मुंबई में गिरनगांव, गिरगांव, शिवाजी पार्क, पारला जैसे सांस्कृतिक द्वीप मुंबई में निर्मित हुए. उन्होंने मुंबई का गौरव करते हुए कहा कि मुंबई सभी भाषा, सभी संस्कृति से लैस सर्वसमावेशक महानगर है. श्री केतकर ने कहा कि मुंबई की विरासत मूलभूत मूल्यों पर आधारित होने के कारण वह चिरंतन बरकरार रहने वाली है.
मुंबई तथा श्रमिक आंदोलन
श्री केतकर ने कहा कि मराठी भाषा का मुंबई के वातावरण पर बड़ा प्रभाव है. उन्होंने बताया कि गिरनी से संबंधित व्यवसाय के क्षेत्र में काम की तलाश में लोग इस शहर में आए तथा मुंबई मैं ही बस गए. मुंबई में हुए श्रमिक आंदोलन का संस्कार समूचे राज्य पर हुआ. कॉमरेड श्रीपाद डांगे, एस एम जोशी, दत्ता देशमुख, प्रबोधनकार ठाकरे का प्रभाव समूचे महाराष्ट्र में रहा. इस प्रभाव को और साथ ही मुंबई की विशेषता को राज्य भर में पहुंचाने का काम आचार्य अत्रे ने उनके समाचार पत्र ‘मराठा’ के माध्यम से किया. उनके साथ महाराष्ट्र के कुछ और अखबार भी शामिल हुए.
मुंबई ने राष्ट्रीय एकात्मता को बल दिया
श्री केतकर ने कहा कि मुंबई राष्ट्र की वित्तीय राजधानी भी कहलाती है और यहां पर दलाल स्ट्रीट का प्रभाव उदारमतवादी आर्थिक नीति से पहले पूंजीवादी अर्थव्यवस्था पर हुआ. पूंजीवाद तथा श्रमिक जैसे दोनों का गहन प्रभाव समूचे राष्ट्र में देखने को मिला. वर्ष 1970 के पश्चात मुंबई से सटे ठाणे, विक्रोली, भांडुप, बेलापुर जैसे क्षेत्रों में विभिन्न उद्योगों की शुरुआत हुई. जिसके कारण अर्थव्यवस्था में उछाल आया और मुंबई परिवर्तित होती गई. मुंबई पर कंप्यूटर तथा सूचना प्रौद्योगिकी के आगमन से सकारात्मक परिणाम हुआ. यहां के युवा आई आई टी की ओर आकर्षित हुए. वर्ष 1990 के बाद राष्ट्र के युवक बड़ी संख्या में विदेशों में जाने लगे और इनमें 70 से 80 प्रतिशत युवक मुंबई के आईआईटी से संबंधित थे.
मुंबई सामाजिक एकात्मता की विरासत
मुंबई के जीवन में सामाजिक एकात्मता निर्माण करने की क्षमता है और यहां से सारे देश में यह एकात्मता फैली है. मुंबई में श्रमिक क्रांति की शुरुआत हुई और यही पर भारत की स्वाधीनता से संबंधित सभी समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. श्री केतकर ने बताया कि मुंबई में कम्युनिस्ट आंदोलन, सामाजिक क्रांति, किसान आंदोलन और अन्य महत्वपूर्ण आंदोलन देखने में आए. यही वह महानगर है जहा पर मानव अधिकार, वेतन के अधिकार, श्रमिक अधिकार जैसे आंदोलनों का केंद्र बना. अंत में उन्होंने कहा कि मुंबई हमेशा देश के सभी भागों से प्रशंसा का केंद्र बनी है.

 

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