मध्य प्रदेश से महेश दीक्षित
तीन बार के भाजपा विधायकों के कटेंगे टिकट!
मध्यप्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव कैसे जीता जाए, इस पर संघ-भाजपा में रात-दिन होमवर्क हो रहा है। संघ-भाजपा ने हाल ही में तीन सवालों को लेकर प्रदेश में अलग-अलग सर्वे कराया। इसके बाद जो फीडबैक आया उसने भोपाल से दिल्ली तक संघ-भाजपा के रणनीतिकारों की नींद उड़ाकर रख दी है। इसके बाद पार्टी में जो राय बन रही है उसके अनुसार तीन बार से ज्यादा बार के विधायकों के पार्टी टिकट काट सकती है। इसके अलावा जिन नेताओं की छवि अच्छी नहीं है या जिनको लेकर जनता में नाराजगी है, उनसे चुनाव से तीन महीने पहले ही यह ऐलान करवाने की तैयारी हो रही है कि, वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। ऐसा करने पर एंटीइंकम्बेंसी को कम किया जा सकेगा। हालांकि, इसमें पार्टी में बगावत की आशंका है। मगर सत्ता में बने रहने के लिए पार्टी यह कड़वी गोली खाने को भी तैयार है। क्योंकि पार्टी को भरोसा है कि जिनके टिकट कटेंगे, उनमें से मुश्किल से पांच फीसदी ही नेता ऐसे होंगे, जो दल-बदल करने का जोखिम लेंगे। नारदजी कहते कि सत्ता के लिए इतना नुकसान तो उठा ही जा सकता है।
पूरा संगठन एडहाक पर है
आगामी विधानसभा चुनाव में जीत के गुणा-भाग को लेकर मप्र भाजपा संगठन की हाल ही में हुई बड़ी बैठक के अगले दिन पार्टी के रणनीतिकारों ने मोर्चा पदाधिकारियों के संग बैठक की। बैठक में एक मोर्चा पदाधिकारी से एक रणनीतिकार ने पूछा आखिर आप लोग पार्टी मुख्यालय से जारी आदेश-निर्देशों को गंभीरता से क्यों नहीं ले रहे हैं। हालांकि, रणनीतिकार ने मोर्चा पदाधिकारी से यह सवाल हास-परिहास में ही पूछा था। लेकिन मोर्चा पदाधिकारी ने जो जवाब दिया, उसने पार्टी के रणनीतिकारों को सकते में ला दिया। मोर्चा पदाधिकारी का जवाब था कि, जब पूरा पार्टी संगठन एडहाक पर चल रहा हो, तो उसके आदेशों-निर्देशों को कितनी गंभीरता लेना चाहिए? नारदजी कहते हैं कि, मोर्चा पदाधिकारी द्वारा हास-परिहास में दिए गए ‘जवाब’ और ‘एडहाक’ शब्द के पार्टी में अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं।
आप के प्रमोटर्स पर सीबीआई-ईडी की नजर
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हाल ही में आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान ने जिस दम से हुंकार भरी और प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया, उससे दिल्ली में बैठी भाजपा हाईकमान को शक हो गया है, कि कोई तो ऐसे लोग हैं, जो आम आदमी पार्टी को पीछे से मध्यप्रदेश में ‘धन और बल’ से सपोर्ट और प्रोजेक्ट कर रहे हैं। इसके लिए प्रदेश के कुछ ब्यूरोक्रेट्स, कारपोरेट हाउसेस और शिक्षा माफियाओं को चिन्हित किया गया है। ये वो लोग हैं जो किसी न किसी कारण से मोदी या शिवराज सरकार की नीतियों से परेशान हैं। नारदजी को भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया है कि जल्द ही आप के ये सपोर्टर-प्रमोटर सीबीआई और ईडी के निशाने पर आ सकते हैं।
साहब का बंगला सबसे न्यारा!
राजधानी में मंत्रियों और ब्यूरोक्रेटस में सरकारी बंगलों में राजशाही ठाट-बाट जुटाने की होड़-सी मची हुई है। मंत्रियों ने तो सरकारी बंगलों में राजशाही ठाट-बाट के लिए नियमों को ‘बला-ए-ताक’ पर रखकर दो सौ करोड़ रुपए खर्च कर दिए। इसी तरह भोपाल में पदस्थ एक बड़े साहब (आईएएस) के चार इमली में अलाट (डी-23) सरकारी बंगले को राजशाही ठाट-बाट से युक्त किया जा रहा है। सरकारी बंगले में रात-दिन साज-सज्जा का काम चल रहा है। सरकारी बंगले को ‘सबसे न्यारा-सबसे प्यारा’ बनाने के लिए इस तरह से सुसज्जित किया जा रहा है, जैसे सरकारी न होकर, साहब का अपना बंगला हो। सरकारी बंगलों का रखरखाव करने वाले पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने नारदजी को बताया कि साहब के सरकारी बंगले की दो महीने से साज-सज्जा चल रही है। अब तक बंगले की साज-सज्जा पर सरकारी खजाने का लगभग 30 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो चुका है और बंगले की साज-सज्जा चालू आहे..!
रंगीन मिजाज साहब के चर्चे
राजधानी के राजनीतिक-प्रशासनिक गलियारों में, और तो और मुंबई की फिल्मी दुनिया तक, इन दिनों एक पुलिस वाले बड़े साहब के रंगीन मिजाजी के किस्से चटखारे लेकर सुनाए जा रहे हैं। दरअसल, ये साहब भले ही पुलिस महकमे में पदस्थ हैं, लेकिन वृत्ति (स्वभाव) से यह इतने रंगीन मिजाज हैं कि, न जाने कितनी सिंगल वूमन (मोहतरमाएं) इन पर जान छिड़कती हैं। साहब के एक करीबी ने नारदजी को बताया कि साहब के लव-अफेयर के इतने किस्से हैं कि, इनका सब कुछ नाटकीय और फिल्मी-सा लगता है। इनके लव अफेयर की तीन-तीन निशानियां (संतानें) भी हैं। ये साहब अगले महीने सेवानिवृत होने वाले हैं, बावजूद इसके साहब किसी एक मोहतरमा के साथ ‘सेटल’ होने का कोई इरादा नहीं रखते हैं। साहब की थिंकिंग के अनुसार ‘सेटल’ होने का मतलब है दिल और प्रेम का मरना… और साहब अपने भीतर के दिल और प्रेम को जिंदा रखना चाहते हैं…!
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