नमो 108 श्री नरेन्द्र मोदी के अथक उत्साह और सहज सुंदरता के लिए एक भव्य उपहार है, जो प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दसवें वर्ष में आया है: डॉ. जितेंद्र सिंह
डॉ. जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद सीएसआईआर-एनबीआरआई लखनऊ द्वारा विकसित "कमल" के पुष्प की नई प्रजाति का किया अनावरण
समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 20अगस्त। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद- (राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान) सीएसआईआर-एनबीआरआई लखनऊ द्वारा विकसित “कमल” के पुष्प की नई प्रजाति का अनावरण किया जिसका नाम ‘नमो 108’ रखा गया है, नए कमल में 108 पंखुड़ियाँ हैं। ‘एनबीआरआई नमो 108’ नाम के कमल वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर- एनबीआरआई) द्वारा विकसित किया गया है, जो लखनऊ में स्थित एक प्रमुख पौधा-आधारित, बहु-विषयक, अत्याधुनिक राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास केंद्र है।
एनबीआरआई, लखनऊ में नमो 108 कमल की प्रजाति और उसके उत्पादों को राष्ट्र को समर्पित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि “कमल के पुष्प और ‘अंक 108’ के धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, यह संयोजन इस प्रजाति को एक महत्वपूर्ण पहचान देता है।”
नमो 108 कमल की यह प्रजाति मार्च से दिसंबर तक खिलती है और पोषक तत्वों से भरपूर होती है। यह कमल की पहली ऐसी प्रजाति है जिसका जीनोम इसकी विशेषताओं के लिए पूरी तरह से अनुक्रमित है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कमल के रेशों से बने परिधान और कमल के फूलों से निकाले गए इत्र ‘फ्रोटस’ का भी विमोचन किया, जिसे सुगंध एवं स्वाद विकास केंद्र (एफएफडीसी), कन्नौज के सहयोग से कमल अनुसंधान कार्यक्रम (लोटस रिसर्च प्रोग्राम) के अंतर्गत एनबीआरआई द्वारा विकसित किया गया है।
अद्वितीय कमल की इस प्रजाति का नाम नमो 108 रखने के लिए राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट – एनबीआरआई) की सराहना करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह नरेन्द्र मोदी के अथक उत्साह और सहज सुंदरता के लिए एक भव्य उपहार है, जो प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दसवें वर्ष में आया है।
इस अवसर पर कमल अभियान (लोटस मिशन) की शुरुआत करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह परियोजना राष्ट्रीय शहद और मधुमक्खी मिशन (नेशनल हनीबीमिशन -एनएचबीएम), राष्ट्रीय बांस मिशन (नेशनल बम्बू मिशन- एनबीएम), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) एवं प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमएनएफ), सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसए), गोकुल मिशन, नीली क्रांति, मिशन शक्ति – एक एकीकृत महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम और अंतःविषय साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (एनएम-आईसीपीएस) इत्यादि जैसी अन्य प्राथमिकता वाली योजनाओं के समान ही मिशन मोड में शुरू की जा रही है।
उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में, सरकार ने अरोमा मिशन की शानदार सफलता के बाद अब लोटस मिशन शुरू किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दोहराया है कि यह सरकार न केवल एक योजना या परियोजना शुरू करती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि इसकी सीमा निर्धारित हो।”
पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) की एक और अनूठी पहल में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए वानस्पतिक (हर्बल) रंग भी जारी किए, जो एनबीआरआई द्वारा मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से निकाले गए थे। इन वानस्पतिक रंगों का उपयोग रेशम और सूती कपड़ों को रंगने के लिए भी किया जा सकता है।
मंत्री महोदय ने घृत कुमारी/ ग्वारपाठा (एलोवेरा) की नई प्रजाति ‘एनबीआरआई-निहार’ भी जारी की, जो एक क्लोनल चयन है और जिसमें सामान्य एलोवेरा की तुलना में लगभग 2.5 गुना अधिक जेल की उपज होती है। क्षेत्रीय अवलोकनों के अनुसार, ‘एनबीआरआई-निहार’ जीवाणु एवं कवक जन्य (बैक्टीरियल एंड फंगल) रोगों के विरुद्ध सबसे कम प्रभावित पाया गया है। सामान्य खांसी और सर्दी को ठीक करने के लिए दो हर्बल उत्पाद ‘हर्बल कोल्ड ड्रॉप्स’ और मार्क लैबोरेटरीज द्वारा बनाए गए हर्बल एंटी डैंड्रफ हेयर ऑयल को भी मंत्री महोदय द्वारा जारी किया गया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय भेषज मानकों (इंडियन फार्माकोपिया स्टैंडर्ड्स) के अनुसार विकसित संस्थान के 500 अपरिष्कृत (रॉ) औषधि भंडारों का एक डेटाबेस भी जारी किया और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनबीआरआई) के उद्यान में गुलाबों पर एक पुस्तक का विमोचन किया, जिसमें बॉटैनिकल गार्डन में संरक्षित विशिष्ट प्रजातियों का विवरण शामिल है। इस अवसर पर, कपास पर सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए सीएसआईआर-एनबीआरआई और मैसर्स न्यूक्लियोम इंफॉर्मेटिक्स, हैदराबाद के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। भारत के वनस्पति नमूनों का एक राष्ट्रीय भंडार, जनता के बीच आसानी से जानकारी प्रसारित करने के लिए सीएसआईआर-एनबीआरआई का डिजिटल हर्बेरियम, और ‘उत्तर प्रदेश के वानस्पतिक पौधे संसाधन एवं एक जांच सूची’ तथा ‘उत्तर प्रदेश के ई-फ्लोरा’ पर एक पुस्तक का भी विमोचन किया गया था। जारी की गई ई-फ्लोरा की सूची और पुस्तक उत्तर प्रदेश के 5,000 से अधिक पौधों की सूची और जानकारी प्रदान करती है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) मंत्री ने गाउट/गाउटी गठिया (आर्थराइटिस) के लिए एक पूरक खाद्य एनबीआरआई-गाउटआउट और उच्च हिमालय के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सेना के जवानों के लिए एक न्यूट्री-बार भी जारी किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने 14 से 19 अगस्त 2023 तक राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) द्वारा आयोजित छह दिवसीय विषय वस्तु -आधारित कार्यक्रम का भी दौरा किया, जिसमें विभिन्न हितधारकों के लिए प्रयोगशाला के अत्याधुनिक अनुसंधान, उत्पादों और प्रौद्योगिकियों, विशेषज्ञता और सुविधाओं का प्रदर्शन किया गया।
इससे पहले एनबीआरआई के निदेशक डॉ. अजीत कुमार शासनी ने डॉ. जितेंद्र सिंह का स्वागत किया और ‘एक सप्ताह एक प्रयोगशाला (वन वीक वन लैब)’ की सहमति देने के लिए उनकी सराहना की, जिसने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने में एक क्रांतिकारी परिवर्तन किया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने पोषक तत्व केन्द्रित (न्यूट्रा-सेंट्रल) मूल उप-उत्पादों (बाईप्रोडक्ट्स) को समर्पित एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया और प्रत्येक स्टॉल पर जाकर इसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
Comments are closed.