नमो@75: नीडोनॉमिक्स परिप्रेक्ष्य में विकसित भारत के लिए जीवन-मुक्ति नेतृत्व

प्रोमदन मोहन गोयलनीडोनॉमिक्स के प्रवर्तक एवं पूर्व कुलपति

17 सितम्बर 2025 को भारत अपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का 75वां जन्मदिवस मना रहा है—जिन्हें स्नेहपूर्वक “नमो” कहा जाता है। यह अवसर केवल एक नेता के जीवन का व्यक्तिगत उत्सव नहीं है, बल्कि भारत की सामूहिक यात्रा का भी प्रतीकात्मक क्षण है, जो हमें विकसित भारत 2047 की दिशा में अग्रसर करता है। नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट (एनएसटी ) प्रधानमंत्री को श्रद्धा सहित शुभकामनाएँ अर्पित करता है और उन्हें एक जीवन-मुक्ति व्यक्तित्व के रूप में वर्णित करता है—जो संन्यास से नहीं बल्कि समाज-सेवा में किए गए पुण्य कर्मों से मुक्ति प्राप्त करता है।

अनु-गीता में जीवन-मुक्ति का दर्शन धर्मसम्मत कर्म, निःस्वार्थ सेवा और लोभ-प्रेरित प्रवृत्तियों से विरक्ति पर आधारित है। प्रधानमंत्री मोदी का जीवन इन आदर्शों का मूर्त उदाहरण है। उन्होंने राजनीति को कभी सत्ता का साधन नहीं माना, बल्कि राष्ट्र-निर्माण का उपकरण बनाया। इस दृष्टि से नमो गीता की उस शिक्षा को मूर्त रूप देते हैं कि सच्ची स्वतंत्रता निःस्वार्थ कर्तव्य-पालन में निहित है।

गीता-प्रेरित नीडोनॉमिक्स (आवश्यकताओं की अर्थशास्त्र) आर्थिक शासन के लिए एक ताज़ा किंतु शाश्वत दृष्टिकोण प्रदान करता है। इसे “पुराना अमृत नई शब्दावली में” कहा जा सकता है। नीडोनॉमिक्स हमें याद दिलाता है कि स्थायी प्रगति असीम उपभोक्तावाद या अंधाधुंध संपत्ति संचय (ग्रीडोनॉमिक्स) में नहीं, बल्कि संयम, संतुलन और आवश्यकताओं की प्राथमिकता में निहित है।

विकसित भारत 2047 की प्राप्ति के लिए नीडोनॉमिक्स का अनुप्रयोग अनिवार्य है। यह नीडो-उपभोग (सजग उपभोग), नीडो-उत्पादन (जनकल्याण, पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों के लिए आवश्यक उत्पादन) और नीडो-शासन (समावेशी विकास, स्थिरता एवं नैतिक उत्तरदायित्व पर आधारित शासन) पर बल देता है। नीडोनॉमिक्स के अनुरूप आर्थिक नीतियाँ बनाकर भारत ऐसा मार्ग चुन सकता है जिसमें भौतिक प्रगति और नैतिक दायित्व का संतुलन हो।

नमो के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए एनएसटी सभी हितधारकों—नागरिकों, नीति-निर्माताओं, उद्यमियों और प्रशासकों—से  स्मार्ट (सिंपल, मॉरल, एक्शन-ओरिएंटेड, रिस्पॉन्सिव और ट्रांसपेरेंट) – सादगीपूर्ण जीवन,  नैतिक आचरण, कर्मप्रधान दृष्टिकोण,  तर्कसंगत निर्णय, सत्यनिष्ठ संबंध बनने का आह्वान करता है।

एनएसटी को स्व. प्रो. प्रेम चंद जैन (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिंतक एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष) के वे शब्द स्मरण होते हैं, जिन्होंने नमो को “असीम संभावनाओं वाली अद्वितीय आत्मा” बताया था—जो साधारण सीमाओं से परे जाकर सामूहिक रूपांतरण की प्रेरणा देते हैं। एनएसटी  मानता है कि नमो ऐसे नेता हैं जो गीता की आध्यात्मिक बुद्धि को आधुनिक शासन की व्यवहारिक दृष्टि से जोड़ते हैं।

नमो का विकसित भारत का सपना केवल भौतिक प्रगति तक सीमित नहीं है; उसमें विकास समग्र, समावेशी और सतत है। यह दृष्टि नीडोनॉमिक्स से गहराई से जुड़ी है, जो मानता है कि वास्तविक समृद्धि अधिक पाने में नहीं, बल्कि यह जानने में है कि कब “और अधिक” की आवश्यकता नहीं है।

जब प्रधानमंत्री मोदी 75 वर्ष के हो रहे हैं, तब नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित करता है—यह केवल जन्मदिवस की बधाई नहीं, बल्कि भारत के लिए एक प्रतीकात्मक आह्वान है। नमो@75 हमें यह याद दिलाता है कि मूल्यों पर आधारित नेतृत्व भारत को स्वतंत्रता की शताब्दी (2047) तक ज्ञान, शक्ति और करुणा के साथ मार्गदर्शन कर सकता है।

नमो@75 को नमन—जीवन-मुक्ति मार्ग है नीडोनॉमिक्स।

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