NASA मिशन से लौटेंगे शुभांशु शुक्ला: अंतरिक्ष से फिर सुनाई दिया ‘सारे जहां से अच्छा’

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 14 जुलाई: भारत के अंतरिक्ष इतिहास में रविवार का दिन फिर एक नई याद जोड़ गया। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 18 दिन बिताने के बाद भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला अब पृथ्वी पर लौटने की तैयारी में हैं। विदाई समारोह के दौरान उन्होंने 1984 में राकेश शर्मा के कहे शब्दों को दोहराते हुए कहा कि आज भी अंतरिक्ष से भारत ‘सारे जहां से अच्छा’ ही दिखता है। शुक्ला ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि आज का भारत आत्मविश्वास और महत्वाकांक्षा से भरा है।

25 जून को शुरू हुआ था ऐतिहासिक सफर

अंतरिक्ष में जाने वाले शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे नागरिक बने हैं। उनका यह मिशन 25 जून को अमेरिका के फ्लोरिडा से शुरू हुआ था, जब एक्सियम-4 मिशन की टीम ने अपनी यात्रा का आगाज़ किया। इस टीम में मिशन कमांडर पेगी व्हिट्सन, पायलट शुभांशु शुक्ला और अन्य दो स्पेशलिस्ट शामिल थे। 26 जून को टीम अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंची थी, जहां उन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए और अंतरिक्ष से जुड़े अहम डेटा जुटाया।

भावुक विदाई, अब वापसी की तैयारी

रविवार को हुए विदाई समारोह में आईएसएस पर मौजूद बाकी सदस्यों के साथ शुक्ला और उनकी टीम ने आख़िरी बार भोजन साझा किया। इस दौरान कई सदस्य भावुक हो गए। शुक्ला ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यह सफर इतना यादगार होगा। उन्होंने अपने दल के साथियों की तारीफ करते हुए कहा कि यह अनुभव उनके सहयोग से ही खास बन पाया।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि एक्सियम-4 मिशन की वापसी सोमवार शाम 4:35 बजे शुरू होगी और मंगलवार को दोपहर तीन बजे कैलिफ़ोर्निया के तट के पास ड्रैगन यान समुद्र में लैंड करेगा

गगनयान के लिए रास्ता तैयार

पीटीआई के मुताबिक, इस मिशन के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने करीब 550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि शुक्ला का यह अनुभव भारत के आगामी मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ की तैयारी में अहम भूमिका निभाएगा। शुक्ला ने आईएसएस पर माइक्रोएल्गी, आंखों की गति, मानसिक संतुलन और रेडिएशन जैसे कई प्रयोग किए हैं। उनके इकट्ठा किए डेटा से आने वाले अभियानों में नई तकनीकें और सुरक्षा उपाय विकसित होंगे।

जल्द लौटेगा ड्रैगन यान

ड्रैगन यान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही ऑटोमेटिक अनडॉकिंग प्रक्रिया से समुद्र में लैंड करेगा। साथ में नासा का हार्डवेयर और 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोगों का डेटा भी वापस आएगा। शुभांशु शुक्ला का यह सफर ना केवल उनके लिए बल्कि भारत के लिए भी गौरव की बात बन गया है।

 

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