राष्ट्रप्रथम-स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर

पार्थसारथि थपलियाल
पार्थसारथि थपलियाल

पार्थसारथि थपलियाल

भारत को 1857 की क्रांति के बाद, (ईस्ट इंडिया कंपनी से) भारत का शासन ब्रिटेन सरकार ने अपने हाथों में पूर्णतः ले लिया था। इस सरकार ने जो दमनकारी नीतियां लागू की उससे भारतीय समाज की स्थिति बहुत खराब हुई और लोगों में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आक्रोश बढ़ा। 1885 में एक अंग्रेज अफसर ए ओ ह्यूम की पहल पर भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस की स्थापना की गई। वे बंदर और थे, जिन्होंने समुद्र पार कर लंका को जीतकर सीता माता को बंधन मुक्त कराया था, एक बंदर आज के हैं जो फसल को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। भारत की महान संताने मंगल पांडे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, बटुकेश्वर दत्त, नेता जी सुभाष चंद्र बोस, रास बिहारी बोस, खुदीराम बोस, अशफ़ाक़ उल्ला खान, उद्यम सिंह, आदि सैकड़ों लोगों ने अपना बलिदान दिया। दूसरी ओर गांधी जी के नेतृत्व में आज़ादी का आंदोलन चला लगभग 90 वर्षों के संघर्ष के बाद 1947 में भारत अंग्रेज़ी दास्तां से मुक्त हुआ।
गांधी जी ने 28 दिसम्बर 1947 को कांग्रेस के स्थापना दिवस पर कहा था। कांग्रेस ने अपना उद्देश्य प्राप्त करना था सो कर लिया अब इसे बंद कर देना चाहिए। ऐसा नही किया गया। स्वाधीनता पूर्व से ही सरकार बनाने की व्यवस्था शुरू की गई। संविधान सभा गठित की गई। याद रखें भारत 1947 मे अंग्रेज़ी दास्तां से मुक्त हुआ, अंग्रेज़ी कानूनों से नही। भारतीय दंड संहिता, साक्ष्य अधिनियम, क्रिमिनल प्रॉसीजर कोड अंग्रेज़ो के बनाये 1860, 1873 और 1898 के कानून भारत में चल रहे हैं। बहुत सी बातें दासता की निशानी के रूप में आज भी विद्यमान हैं। हैं स्वाधीन तो होंगे लेकिन तंत्र अंग्रेज़ो का स्थापित ही चल रहा है। अंग्रेजों के कानून भारतीयों को अपराधी सिद्ध करने के लिए बनाए गए थे। स्वतंत्र हम तब होंगे जब कानून भी हमारे अपने हों।
वर्तमान सरकार स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर बढ़ रही है। (IPC, CRPC और IEA) भारतीय दंड सहिंता, इंडियन पीनल कोड और इंडियन एविडेंस एक्ट को बदलकर भारतीय न्याय सहिंता, भारतीय नागरिक संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता सम्बन्धी अधिनियम बनाने के लिए सरकार ने लोकसभा में एक विधेयक पास कर लिया है। इसे अब राज्य सभा को भेज गया है। उम्मीद है अगले सत्र में ये तीनों कानून भारत के हो जाएंगे। यह स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर एक महत्वपूर्ण चरण है।
भारत आज़ादी के अमृतकाल में चल रहा है 2047 तक भारत को अग्रणीय बनाने का लक्ष्य हमारे सामने है। हम देश के महान क्रान्तिकारियों और बलिदानियों के संघर्ष को व्यर्थ न जाने दें। स्वाधीन भारत को स्वतंत्र भारत बनाने में अपनी भूमिका तय कर लें। हमें स्वतंत्र होना है- गुलामी की मानसिकता से, गरीबी और भुखमरी से, अन्याय और अत्याचार से, भेदभाव और छुआछूत से, सामाजिक विषमताओं से, अभावों से और प्रभावों से, घूसखोरी और भ्रष्टाचार से, बेरोजगारी से, स्वतंत्रता हमें वैचारिक स्तर भी चाहिए, पारस्परिक मान सम्मान और स्वच्छ भारत समृद्ध भारत, शिक्षित भारत हमारे उद्देश्यों में शामिल हों।

आप सभी को 77वें स्वाधीनता दिवस पर शुभकामनाएं।

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