
पार्थसारथि थपलियाल
लोकतंत्र में तंत्र आम अवधारणा के अनुसार शासन जनता का है, लेकिन जब लोकतंत्र लूटतंत्र बन जाय तो लोकतंत्र बेईमानी बन जाता है। परिवारवादी राजनीति हो तो लोकतंत्र लूटतंत्र बन जाता है। बिना लोकलाज का लोकतंत्र गिरोहतंत्र है।
लोकतंत्र की परिभाषा जनता द्वारा जनता के लिए जनता का शासन न सत्ता पक्ष न विपक्ष इस परिभाषा पर हमारा देश कब खरा उतरा? लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों का महत्व है। वर्तमान में सत्ता पक्ष मजबूत और विपक्ष कमजोर है। लोकसभा के आम चुनाव सिर पर खड़े हैं विपक्ष के इंडी गठबंधन से लोग इस तरह बिखर रहे हैं जैसे डूबते जहाज़ से चूहे सबसे पहले किनारा ढूंढते हैं। भारत की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी अखिल भारतीय कॉंग्रेस थके हारे और दिशाविहीन नेताओं के हाथ में है। ऐसे ऐसे महान नेता हैं जो अपने पाँव पर केवल कुल्हाड़ी ही नही मारते बल्कि यदि कुल्हाड़ा हाथ मे न हो तो कुल्हाड़े के ऊपर पाँव रखने के लिए कुल्हाड़ा ढूंढते हैं। कॉंग्रेस नेता राहुल गांधी किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए। राहुल गांधी के हालिया वक्तव्यों से यह लगा कि वे स्वप्नों की दुनिया जी रहे हैं। जब उन्हें अपना संगठन मजबूत करना था उस समय वे भारत जोड़ो न्याय यात्रा चला रहे हैं। इंडी गठबंधन के प्रमुख सहयोगी DMK प्रमुख, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने हाल ही में मांग की के दक्षिण भारत को एक अलग देश बना दिया जाना चाहिए। यह वक्तव्य जोड़ने वाला है? राहुल गांधी अपने इंडी गठबंधन को तो जोड़कर नही रख पाए फिर वे किस टूटे भारत को जोड़ने चले हैं। उनके नेतृत्व काल मे भारत की प्रमुख राष्ट्रीय विपक्षी पार्टी कांग्रेस रसातल पर पहुंचने वाली है और मोहब्बत की दुकान खोलने वाले कॉंग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा में सवर्णों के विरुद्ध नफरत का ज़हर बेच रहे हैं। इसी नेतृत्व के काल में कॉंग्रेस के अनेक प्रभावशाली जमीनी नेता पहले जी 23 के नाते असह्य हुए। अनेक लोगों ने कॉंग्रेस को छोड़ा। हेमंता विश्वास (असम), कपिल सिब्बल (दिल्ली), गुलाम अली आज़ाद (जम्मू कश्मीर), ज्योतिरादित्य सिंधिया (मध्यप्रदेश), अमरेंद्र सिंह (पंजाब), सुनील जाखड़ (पंजाब), अश्वनी कुमार (चंडीगढ़), विजय बहुगुणा (उत्तराखंड), आर पी एन सिंह (उत्तर प्रदेश), जितिन प्रसाद (उत्तर प्रदेश), हार्दिक पटेल (गुजरात), अल्पेश ठाकोर (गुजरात), अशोक चव्हाण (महाराष्ट्र) , मिलिंद देवड़ा (महाराष्ट्र) आदि अनेक नाम हैं जिन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार नही किया और कॉंग्रेस छोड़ी। इंडी गठबंधन हवा में पैदा हुआ हवा में लोप हो गया। ममता बनर्जी ने बंगाल में न्याय यात्रा पर जो ठंडा पानी डाला उससे कॉंग्रेस को संभल जाना चाहिए था। महाराष्ट्र में इंडी गठबंधन के एन सी पी और शिव सेना उद्धव गुट और कॉंग्रेस चीथड़े चीथड़े हो गयी। दिल्ली और पंजाब में “आप” ने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का अस्तित्व ही खतरे में है। सोनिया ने राज्यसभा के लिए राजस्थान से नामांकन दाखिल कर दिया। वह सीट भी कॉंग्रेस से निकल गई। बिहार में महागठबंधन की सरकार में रहे (भूतपूर्व उपमुख्यमंत्री) नौंवी फेल), लालू प्रसाद यादव के सुपुत्र तेजस्वी यादव जब बिहार में जीप के स्टेरिंग पर थे और को पायलेट की सीट पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी बैठे तो यह दृश्य बहुत कुछ कह गया। हाल ही में नितीश बाबू ने कबीर दास की जो उलट बांसी पढ़ी, उससे तो इंडी गठबंधन की जगहंसाई ही हुई। एक एक कर कॉंग्रेस के छत्रप कॉंग्रेस छोड़ रहे हैं, अभी कॉंग्रेस छोड़ने की सुगबुगाहट है में नवजोत सिंह सिद्धू, कमलनाथ, और नकुल नाथ के नाम हैं। कांग्रेस नेतृत्व वक्त की नज़ाकत नही समझ पा रहा। जिस स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट का वह समर्थन कर रहा है उसे अपने शासनकाल में नकार दिया अब सत्ता में आने पर उसे लागू करने की बात कर रहा है। उनके रणनीतिकार रणदीप सुरजेवाला और जयराम रमेश दोनों अपनी असफलताओं के लिए विख्यात हैं। लोकसभा चुनावों में सामने मोदी है जिनका लोहा दुनिया मानती है, उनके रणनीतिकारों की टीम में धुरंधर लोग हैं ऐसे में पार्टी कांग्रेस को बचाने के लिए भारत जोड़ो न्याय यात्रा मुंगेरीलाल के हसीन सपने से ज्यादा कुछ नही। कहावत है पूत के पाँव पालने में। कमजोर नेतृत्व मजबूत विपक्ष स्थापित नही कर सकता। ये भारतीय लोकतंत्र में प्रमुख विपक्ष का दर्पण है। दर्पण झूठ नही बोलता।
Comments are closed.