नौसेना को मिला भारत का पहला स्वदेश निर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत, अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीक से है लैस
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30जुलाई। आईएसी विक्रांत के नौसेना के बेड़ें में शामिल होते ही भारत दुनिया के उन सात देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जो विमानवाहक पोत का निर्माण करते हैं. अभी तक अमेरिका, ब्रिटैन, फ्रांस, रूस, इटली और चीन ही ऐसे विशेष पोतों का निर्माण कर रहे हैं.
262 मीटर लंबे जहाज का भार लगभग 45,000 टन है जो उसके पूर्ववर्ती की तुलना में बहुत बड़ा और अधिक उन्नत है। इसके आने से भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा।
भारतीय नौसेना ने कोच्चि में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) से स्वदेशी विमान वाहक ‘विक्रांत’ हासिल किया।
आईएसी विक्रांत एमआईजी-29 फाइटर जेट, एमएच-60आर मल्टीरोल हेलीकाप्टरों की उड़ान के लिए सक्षम है. इसमें 30 विमानों का एयर विंग है.
भारतीय नौसेना ने अपने बिल्डर कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल), कोच्चि से प्रतिष्ठित स्वदेशी विमान वाहक (एसी) विक्रांत प्राप्त कर आज समुद्री इतिहास रच दिया है।
विक्रांत की डिलीवरी के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास स्वदेशी रूप से विमान वाहक डिजाइन और निर्माण करने की क्षमता है।
262 मीटर लंबे जहाज का भार लगभग 45,000 टन है जो उसके पूर्ववर्ती की तुलना में बहुत बड़ा और अधिक उन्नत है।
जहाज कुल 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित होता है और इसकी अधिकतम गति 28 समुद्री मील है।
लगभग 20,000 करोड़ रुपये की कुल लागत से निर्मित इस परियोजना को रक्षा मंत्रालय और सीएसएल के बीच अनुबंध के तीन चरणों में आगे बढ़ाया गया है, जो मई 2007, दिसंबर 2014 और अक्टूबर 2019 में पूरा हुआ। जहाज की पेंदी फरवरी 2009 में रखी गई थी, इसके बाद अगस्त 2013 में लॉन्च किया गया था।
स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएसी विक्रांत को बनाने के लिए भारत की प्रमुख कंपनियों का सहयोग लिया गया है. इन कंपनियों में बीईएल (BEL), भेल (BHEL), जीआरएसई (GRSE), केल्ट्रोन ( Keltron), किर्लोस्कर (Kirloskar), लार्सन एंड टुब्रो (L&T), वार्टसिला इंडिया (Wartsila India) इत्यादि शामिल हैं. इसके अलावा 100 से अधिक एमएसएमई (MSME) का भी सहयोग लिया गया है. भारतीय नौसेना, डीआरडीओ और भारतीय इस्पात प्राधिकरण के सहयोग से स्वदेशी युद्धपोत का निर्माण किया गया है. 3डी वर्चुअल रियलिटी मॉडल और उन्नत इंजीनियरिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है. नौसेना डिजाइन निदेशालय द्वारा 3डी वर्चुअल रियलिटी मॉडल और उन्नत इंजीनियरिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया है।।
कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भारतीय नौसेना ने अमेरिका से दो एमएच -60 आर मल्टीरोल हेलीकॉप्टर प्राप्त किए। तीसरा हेलीकॉप्टर अगस्त 2022 में मिलना है। 24 एमएच 60 आर हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी 2025 तक पूरी हो जाएगी। अत्याधुनिक मिशन-सक्षम इस हेलीकॉप्टर को शामिल करने से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता में काफी वृद्धि होगी।।
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