एनसीपीसीआर की रिपोर्ट: मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल, आरटीई अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,11 सितम्बर। नई दिल्लीराष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है, जिसमें मदरसों में बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। आयोग का कहना है कि मदरसों में दी जा रही शिक्षा व्यापक नहीं है और यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई एक्ट), 2009 के प्रावधानों के खिलाफ है। रिपोर्ट के अनुसार, मदरसों में बच्चों को औपचारिक और सही गुणवत्ता की शिक्षा नहीं मिल रही है, जिससे उनके शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  1. शिक्षा की सीमित पहुंच और गुणवत्ता: एनसीपीसीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि मदरसों में बच्चों को ऐसी शिक्षा प्रदान की जा रही है, जो पूरी तरह से औपचारिक शिक्षा के मानकों पर खरी नहीं उतरती। रिपोर्ट के अनुसार, मदरसों में शिक्षा का दायरा और विषयवस्तु काफी सीमित है, जिससे बच्चों को एक समग्र और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त नहीं हो पा रही है।
  2. आरटीई अधिनियम का उल्लंघन: शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009, सभी बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है। एनसीपीसीआर ने बताया कि मदरसों में बच्चों को दी जा रही शिक्षा आरटीई अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है, जिससे बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।
  3. शिक्षकों की कमी और प्रशिक्षण: रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि मदरसों में शिक्षकों की कमी और उनके प्रशिक्षण की कमी है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। शिक्षकों की अपर्याप्त संख्या और उनके प्रशिक्षण की कमी से बच्चों को प्रभावी तरीके से शिक्षा प्रदान करने में कठिनाई हो रही है।
  4. संरचनात्मक और सुविधाओं की कमी: एनसीपीसीआर की रिपोर्ट में मदरसों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और शिक्षा के लिए आवश्यक संसाधनों की अनुपलब्धता का भी जिक्र किया गया है। यह कमी बच्चों की शिक्षा के स्तर को प्रभावित कर रही है और उन्हें एक समग्र शिक्षा प्राप्त करने में बाधा डाल रही है।

एनसीपीसीआर की सिफारिशें

एनसीपीसीआर ने मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए कई सिफारिशें की हैं:

  1. शिक्षा के दायरे का विस्तार: मदरसों में शिक्षा के दायरे को बढ़ाया जाए और उसे आरटीई अधिनियम के मानकों के अनुरूप बनाया जाए। इससे बच्चों को व्यापक और समग्र शिक्षा प्राप्त हो सकेगी।
  2. शिक्षकों के प्रशिक्षण और नियुक्ति: मदरसों में शिक्षकों की संख्या बढ़ाई जाए और उन्हें उचित प्रशिक्षण प्रदान किया जाए, ताकि वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर सकें।
  3. संरचनात्मक सुधार और सुविधाएँ: मदरसों में बुनियादी सुविधाओं और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
  4. निगरानी और मूल्यांकन: मदरसों की शिक्षा प्रणाली की नियमित निगरानी और मूल्यांकन किया जाए, ताकि समय-समय पर सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें और शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सके।

निष्कर्ष

एनसीपीसीआर की रिपोर्ट ने मदरसों में बच्चों को दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता और व्यापकता पर महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। यह रिपोर्ट आरटीई अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन को उजागर करती है और सुधार की आवश्यकता को स्पष्ट करती है। अगर इन सिफारिशों पर अमल किया जाता है, तो मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है और बच्चों को उनके शिक्षा के अधिकार का पूरी तरह से लाभ मिल सकेगा। सरकार और संबंधित विभागों को इस रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक कदम उठाने चाहिए ताकि सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और समग्र शिक्षा प्राप्त हो सके।

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