समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24फरवरी। तीन नए आपराधिक कानून एक जुलाई 2024 से प्रभावी हो जाएंगे. इसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से शनिवार को अधिसूचना जारी कर दी गई है. जिसमें कहा गया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिताऔर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई 2024 से लागू होंगे.
इन तीन विधेयकों को पहली बार अगस्त 2023 में संसद के मानसून सत्र के दौरान पेश किया गया था. 21 दिसंबर को राज्यसभा द्वारा पारित होने से पहले तीनों कानूनों को 20 दिसंबर को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था. इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को इन्हें अपनी सहमति दे दी थी.
इन कानूनों की जगह लेंगे नए क्रिमिनल लॉ
ये कानून क्रमशः औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे. तीनों कानूनों का उद्देश्य इसे पूरी तरह से बदलना है.
भारतीय न्याय संहिता, 2023
यह भारतीय दंड संहिता, 1860 का स्थान लेता है. इसमें राजद्रोह को हटा दिया गया है, लेकिन अलगाववाद, विद्रोह और भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता के खिलाफ कृत्यों को दंडित करने वाला एक और प्रावधान पेश किया गया है. नाबालिगों से सामूहिक बलात्कार और मॉब लिंचिंग के लिए मौत की सजा का प्रावधान है.
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
यह सीआरपीसी, 1973 का स्थान लेता है. इसमें समयबद्ध जांच, सुनवाई और बहस पूरी होने के 30 दिनों के भीतर फैसला देने का प्रावधान है. यौन उत्पीड़न पीड़ितों के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य की गई है. अपराध की संपत्ति और आय की कुर्की के लिए एक नया प्रावधान पेश किया गया है.
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023
इसने भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान लिया है, अदालतों में पेश और स्वीकार्य साक्ष्य में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड, ईमेल, सर्वर लॉग, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप, एसएमएस, वेबसाइट, स्थानीय साक्ष्य, मेल, उपकरणों पर संदेश शामिल होंगे. केस डायरी, एफआईआर, आरोप पत्र और फैसले सहित सभी रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण होगा. इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड का कानूनी प्रभाव, वैधता और प्रवर्तनीयता कागजी रिकॉर्ड के समान ही होगा.
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