समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27 जून: शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के मंच पर एक महत्वपूर्ण क्षण उस समय आया जब भारत के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षामंत्री एडमिरल डोंग जून के बीच 26 जून को चिंगदाओ में द्विपक्षीय बैठक हुई। इस संवाद ने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवादों और आपसी अविश्वास को पिघलाने की उम्मीद जगा दी।
सीमा पर शांति और विश्वास बहाली की ओर कदम
बैठक में सबसे अधिक जोर भारत-चीन सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने पर दिया गया। श्री राजनाथ सिंह ने स्वीकार किया कि दोनों पक्ष सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में प्रयासरत हैं, लेकिन इसे और व्यवस्थित और स्थायी बनाने के लिए लगातार संवाद जरूरी है।
उन्होंने जमीनी स्तर पर विश्वसनीय कार्रवाई की वकालत करते हुए 2020 के सीमा गतिरोध के कारण उत्पन्न अविश्वास को मिटाने का आह्वान किया।
सीमा समाधान के लिए सुव्यवस्थित प्रारूप पर सहमति
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने सीमा प्रबंधन और सीमांकन से जुड़े मुद्दों पर स्थापित तंत्र को फिर से सक्रिय करने पर सहमति जताई। राजनाथ सिंह ने रेखांकित किया कि इन जटिल मसलों को शांति और पारस्परिक लाभ के दृष्टिकोण से सुलझाया जाना चाहिए, जिससे एशिया और विश्व में स्थिरता सुनिश्चित हो सके
राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष और कैलाश यात्रा का उल्लेख
राजनाथ सिंह ने भारत-चीन के राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने को एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताया। इसके साथ ही, पांच वर्षों के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा की पुनः शुरुआत को भी उन्होंने विशेष सराहना दी। यह सांस्कृतिक और धार्मिक जुड़ाव को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
आतंकवाद के विरुद्ध भारत की कार्रवाई पर चीनी पक्ष को अवगत कराया गया
श्री राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षामंत्री को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले और पाकिस्तान स्थित आतंकी ढांचों को ध्वस्त करने के उद्देश्य से चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए किसी भी स्तर तक जाने को तैयार है।
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