बिहार चुनाव से पहले नई दोस्ती: राहुल गांधी ने पप्पू यादव और तेजस्वी को किया करीब

समग्र समाचार सेवा
पटना, 24 अगस्त: बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राज्य की सियासत में नए समीकरण बनते नज़र आ रहे हैं। कभी एक-दूसरे से दूर दिखने वाले नेता अब साथ मंच साझा कर रहे हैं। ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला, जब पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव एक साथ राहुल गांधी की गाड़ी पर दिखे।

यह तस्वीरें और भाषण न सिर्फ़ विपक्षी एकजुटता की मिसाल पेश कर रहे हैं, बल्कि आने वाले चुनावी समीकरणों की ओर भी संकेत कर रहे हैं।

पप्पू–तेजस्वी की दूरी हुई कम

साल 2024 के लोकसभा चुनाव में पूर्णिया सीट को लेकर पप्पू यादव और आरजेडी में बड़ा टकराव हुआ था। आरजेडी ने पप्पू यादव को टिकट देने से इनकार कर अपना उम्मीदवार उतारा था। बावजूद इसके, पप्पू यादव निर्दलीय सांसद बने और बाद में कांग्रेस के करीब आ गए।

अब हालात बदल चुके हैं। वोटर अधिकार यात्रा के दौरान पप्पू यादव और तेजस्वी यादव एक ही मंच पर आए। पप्पू यादव ने तेजस्वी को “जननायक और भाई” बताते हुए कहा कि वे अपराध और आतंक को खत्म करने में लगे हुए हैं। वहीं, तेजस्वी ने पप्पू यादव का स्वागत करते हुए कहा कि वे गठबंधन के साथ हैं।

राहुल गांधी की बड़ी भूमिका

राजनीतिक समीकरणों में यह बदलाव राहुल गांधी की पहल पर संभव हुआ है। पटना में चुनाव आयोग के खिलाफ हुए एक विरोध प्रदर्शन के दौरान पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को राहुल गांधी के साथ मंच पर जगह नहीं दी गई थी, जिसके बाद पप्पू यादव की काफी किरकिरी हुई थी।

लेकिन अब वही पप्पू यादव राहुल और तेजस्वी दोनों के साथ मंच साझा कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने तेजस्वी यादव को साफ संदेश दिया था कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बढ़त बनानी है, तो अधिक से अधिक नेताओं और वर्गों को साथ जोड़ना होगा।

बिहार चुनाव का समीकरण

आगामी विधानसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन ने तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित कर दिया है। राहुल गांधी और कांग्रेस का झुकाव साफ़ तौर पर तेजस्वी के पक्ष में है। ऐसे में पप्पू यादव जैसे नेताओं को साथ लेना गठबंधन के लिए ज़रूरी माना जा रहा है, ताकि विपक्षी वोटों का बिखराव रोका जा सके।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह समीकरण न सिर्फ़ एनडीए के खिलाफ मज़बूत चुनौती पेश करेगा, बल्कि उन सीटों पर भी असर डालेगा, जहां अब तक विपक्ष बिखरा हुआ था।

बिहार की राजनीति में यह नया गठजोड़ एक बड़ा संकेत है कि चुनाव से पहले “राजनीतिक दुश्मनी पर चुनावी गणित भारी” है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पप्पू यादव और तेजस्वी यादव की नज़दीकी विपक्ष को एकजुट कर एनडीए के सामने मज़बूत चुनौती खड़ी कर पाएगी या नहीं।

 

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