अंतरिक्ष से नई दोस्ती: इसरो-नासा साझेदारी को भारत-अमेरिका रिश्तों का मजबूत स्तंभ बताने पहुंचे विनय मोहन क्वात्रा

समग्र समाचार सेवा
वॉशिंगटन, 16 सितंबर: भारत के अमेरिका में राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने सोमवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) की साझेदारी भारत-अमेरिका संबंधों का सबसे मजबूत स्तंभ है। वॉशिंगटन में आयोजित इंडिया-यूएसए स्पेस कोलैबोरेशन इवेंट में उन्होंने इस सहयोग को “लंबे समय से चल रही और फलदायी साझेदारी” बताया।

इस कार्यक्रम में अंतरिक्ष यात्री सुनिता विलियम्स, निक हेग, बुच विलमोर और भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने हिस्सा लिया। क्वात्रा ने कहा, “आम तौर पर हम अंतरिक्ष को पृथ्वी की दृष्टि से देखते हैं, लेकिन आज हम पृथ्वी को अंतरिक्ष की दृष्टि से देख रहे हैं। यह एक अनोखा और प्रेरणादायक अनुभव है।”

भारत-अमेरिका अंतरिक्ष यात्रा

क्वात्रा ने याद दिलाया कि भारत-अमेरिका की अंतरिक्ष साझेदारी की शुरुआत 1970 के दशक में सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविज़न एक्सपेरिमेंट (SITE) से हुई थी, जिसका उद्देश्य शैक्षिक प्रसार था। इसके बाद दोनों देशों ने कई ऐतिहासिक मिशनों पर सहयोग किया—जैसे चंद्रयान सीरीज़, भारत का आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर करना और हाल ही में लॉन्च हुआ नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर राडार (NISAR) मिशन

क्वात्रा ने आगे कहा, “आने वाले समय में भारत 2028 से 2035 के बीच मानवयुक्त चंद्रमा मिशन और अंतरिक्ष स्टेशन की योजना बना रहा है, जिसमें नासा हमारी अहम साझेदार बनेगी।”

सुनिता विलियम्स का अनुभव

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनिता विलियम्स ने कार्यक्रम में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि एक्सपेडिशन-72 की कमांडर के रूप में काम करना “बेहद कठिन चुनौती” थी, लेकिन टीमवर्क और संवाद की ताकत ने उन्हें सफलता दिलाई।

उन्होंने कहा, “हम सोच रहे थे कि मिशन छोटा होगा, लेकिन यह अपेक्षा से अधिक लंबा चला। इस दौरान हमने सीखा कि टीम सपोर्ट और एक-दूसरे की बात सुनना ही असली ताकत है।”

यह मिशन सितंबर 2024 से मार्च 2025 तक चला और इसमें मानव स्वास्थ्य, जीव विज्ञान, फायर सेफ्टी और 3D मेटल प्रिंटिंग जैसी तकनीकों पर 1000 से अधिक घंटे का शोध हुआ।

भारत का अगला कदम

कार्यक्रम में भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भी वर्चुअली जुड़े। उन्हें भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का हिस्सा चुना गया है। उनकी मौजूदगी को भारत के अगले चरण की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा का प्रतीक बताया गया।

कार्यक्रम में नासा के प्रतिनिधियों, भारतीय दूतावास के अधिकारियों और भारतीय मूल के लोगों ने भाग लिया।

भारत और अमेरिका की यह अंतरिक्ष साझेदारी न केवल विज्ञान और तकनीक को आगे बढ़ा रही है, बल्कि दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों को भी नई ऊँचाइयों तक ले जा रही है। चंद्रयान से लेकर मानवयुक्त अंतरिक्ष यात्रा तक, इसरो-नासा की साझेदारी आने वाले दशक में अंतरिक्ष विज्ञान का भविष्य तय कर सकती है।

 

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