नए भारत का नया इतिहास

*पूनम शर्मा ।
मैं भारत का इतिहास बोल रहा हूँ
मुझे सुनो ,
मैं भारत का इतिहास बोल रहा !
अपने उन रहस्यों
को आज  खोल रहा!
अपने  सत्य को
स्वयं  उजागर कर रहा!
मेरे दमन में
भागी मेरे  कुछ अपने,
कुछ पराये,
लाख यत्न करे ,
कोई युग मुझे ,
मिटाए , छिपाए
शोक नहीं ,
रोष नहीं है ,
मुझे पता है ,
क्योंकि ,
मै अटल सत्य हूँ ,
चिरंतन हूँ ,
हर हाल में ,
उभर कर आऊँगा
प्रकृति के शाश्वत नियमों से,
भला दूर,
कहाँ जा पाऊँगा
मै अदम्य  हूँ ,
हैं  अकाट्य तर्क मेरे,
चतुर मुग़ल व
आंग्ल शासकों ने
किये बड़े छल ,बहुतेरे ,
कई यत्न हुए,
कई अथक प्रयत्न हुए,
राष्ट्रीय धाराओं को,
मोड़ने का ,
तोड़ने का,
मेरे अस्तित्व से खेलने का भी हुआ बड़े यत्न,
लेकिन मै अमिट हूँ ,
चिरंतन हूँ

क्योंकि मैं भारत हूँ ,का,
भारत का सम्पूर्ण इतिहास हूँ
मेरे को मिटाने का ,
जिसने भी किया प्रयास ,
समय उड़ाता रहा,
सदैव उसका परिहास,
गवेषणाओं के नूतन संकल्पों की हर आकृति ,
है उन सभी ,
असत्यों की आहुति
हर  निष्कर्ष ,
हर परिणाम ,
करते हैं आज़ उन हमारे
सत्य की सभी कोशिशों को
प्रणाम .
हम कर रहे है
सभ्यताओं का सत्यापन,
जो दिखा रहा है जग को ,
सत्य व सभ्यता का दर्पण
जो तथ्यों व सत्यों से है
भरपूर,
जो भारत को समृद्ध कर रहा ,
हमें नित नयी राह दिखा रहा
तथ्यों के जिसने अनर्थ करने की की कोशिशें
उनकी कमतर होती जा रही प्रभाव व आशीषे,
हमारी सत्य इतिहास यात्रा लम्बी ज़रूर है ,
लेकिन सत्य के
क़रीब व सत्य से भरपूर है,
मै यात्री हूँ,
कई नए तथ्यों का,
साक्षी भी .
द्रष्टा भी ,
पर मौन नहीं ,
क्रांति से पूर्ण !
आज़ भी बिखरे हुए है
हज़ारों आख्यान व ,
अधूरे व्याख्यान
जिनको सम्पूर्णता से,
परिभाषित करने का है,
हमारा सम्पूर्ण अभियान !
अब हमें मुक्त होना है
ऐतिहासिक,
वेदनाओं के शूल,
पीड़ाओं के दंश से
आक्रांताओं के वंश से ,
ख़ानदानी आतंक से,
अब हमारी तमाम कोशिशें
का मिलने लगा है परिणाम,
पूर्णता की ओर बढ़ चला है
हमारा सार्वदेशिक अभियान
हम तब तक चलेंगे उस
महामुक्ति की ओर ,
जब तक मिल नहीं जाता
सकारात्मक परिणाम !
हमें है अटल विश्वास व
भरोसा है अपने इतिहास पुनर्लेखन के इस अभियान पर !
जब तक वो प्रण पूरा नहीं होता ,
तब तक चलता रहेगा ये महाअभियान
नहीं रुकेगा ,
नहीं झुकेगा ,
न लेगा विश्राम!
मैं भारत का  इतिहास बोल रहा!
मैं भारत का इतिहास बोल रहा हूँ !!
(पूनम शर्मा, पेशे से शिक्षिका हैं व अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति से जुड़ी हुयी है व सम्प्रति गुवाहाटी (असम) में रहती है।)

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