“नवजात कोई वस्तु नहीं”: सुप्रीम कोर्ट ने बच्चा चोरी मामले में बेल रद्द कर राज्य सरकारों को लगाई फटकार

नई दिल्ली, 15 अप्रैल – सुप्रीम कोर्ट ने नवजात शिशुओं की तस्करी से जुड़े एक गंभीर मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी को दी गई जमानत को रद्द कर दिया है। वाराणसी और आसपास के अस्पतालों से नवजातों की चोरी के मामले में अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद हाई कोर्ट की भूमिका पर भी सख्त टिप्पणी की।

न्यायमूर्ति जे.बी. पारडीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “नवजात शिशु कोई वस्तु नहीं हैं, जिन्हें खरीदा-बेचा जाए।” कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा आरोपी को दी गई जमानत को “लापरवाही भरा और समाज के लिए खतरा बढ़ाने वाला” बताया।

सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि चोरी किए गए बच्चों को पश्चिम बंगाल, झारखंड और राजस्थान तक ले जाया गया था। इससे साफ होता है कि यह कोई स्थानीय घटना नहीं बल्कि देशव्यापी मानव तस्करी रैकेट का हिस्सा थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे “सुनियोजित और क्रूर अपराध” करार दिया।

अदालत ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि यदि किसी अस्पताल से नवजात की चोरी होती है, तो तुरंत उसका लाइसेंस रद्द किया जाए। साथ ही इस तरह के मामलों की रोकथाम के लिए अस्पतालों की निगरानी और सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने का आदेश भी दिया गया है।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और भारतीय विकास संस्थान से रिपोर्ट तलब की थी। इन रिपोर्टों के आधार पर अदालत ने अपने फैसले में कई सिफारिशों को शामिल किया है, जिन्हें सभी राज्यों में लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने उन लोगों की भी जमानत रद्द कर दी है, जिन्होंने चोरी किए गए बच्चों को खरीदा था। अदालत ने कहा,
“निःसंतान होने का यह अर्थ नहीं कि कोई भी अवैध रूप से किसी और का बच्चा खरीद ले – वह भी यह जानते हुए कि वह चोरी किया गया है।”

सुप्रीम कोर्ट ने देश की सभी उच्च न्यायालयों को आदेश दिया है कि वे अपने अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित बच्चा तस्करी मामलों का डेटा इकट्ठा करें और सुनिश्चित करें कि इन मामलों का निपटारा छह महीनों के भीतर हो।

अदालत ने आम जनता, विशेष रूप से नवजात के माता-पिता से भी अपील की है कि वे अस्पतालों में अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर सजग रहें। कोर्ट का यह फैसला आने वाले समय में बच्चा तस्करी के खिलाफ कानून और प्रशासनिक व्यवस्था को और कठोर बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

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