समग्र समाचार सेवा
लखनऊ/मुंबई, 17 जुलाई: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले से संचालित कथित धर्मांतरण गिरोह पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था और सरकारी तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बृहस्पतिवार को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत ईडी ने बलरामपुर के 12 और मुंबई के दो ठिकानों पर छापेमारी की। जांच एजेंसी की इस कार्रवाई में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की टीमें भी शामिल थीं, और सुबह करीब पांच बजे ऑपरेशन शुरू किया गया।
ईडी की यह छापेमारी एक ऐसे नेटवर्क के खिलाफ है, जिसका नेतृत्व जलालुद्दीन उर्फ ‘छांगुर बाबा’ करता था। यह गिरोह न केवल धर्मांतरण की गतिविधियों में संलिप्त था, बल्कि इसके तार हवाला और विदेशी फंडिंग से भी जुड़े पाए गए हैं।
छांगुर बाबा का बढ़ता प्रभाव और 106 करोड़ का लेन-देन
जलालुद्दीन, जिसे उसके अनुयायी ‘छांगुर बाबा’ कहते हैं, दरअसल करीमुल्ला शाह के नाम से जाना जाता है। ईडी के अनुसार, जलालुद्दीन और उसके सहयोगियों ने करीब 40 बैंक खातों के ज़रिए 106 करोड़ रुपये का लेन-देन किया, जिनमें अधिकांश फंड्स पश्चिम एशिया से आए थे। बलरामपुर स्थित चांद औलिया दरगाह को इस नेटवर्क का केंद्र माना जा रहा है, जहां नियमित रूप से भारतीय और विदेशी नागरिकों की बड़ी सभाएं आयोजित होती थीं।
यह सिर्फ एक धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि एक सुनियोजित रैकेट का संचालन स्थल बन चुका था। जलालुद्दीन के साथ उसके बेटों और कई महिला सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया जा चुका है, जो वर्तमान में जेल में हैं
सरकारी अफसरों की भूमिका पर गंभीर आरोप
इस गिरोह की परतें खुलने के साथ ही अब सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के आरोप भी सामने आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार चार अधिकारियों—एक एडीएम, दो सर्किल ऑफिसर और एक इंस्पेक्टर—के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है, जो 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में तैनात थे।
आरोप हैं कि इन अधिकारियों ने न केवल चुप्पी साधी, बल्कि नकद, लग्ज़री कारें, और यहां तक कि 5 करोड़ रुपये का शोरूम भी घूस के रूप में लिया। एक सरकारी तालाब की जमीन को कब्जा करने के मामले में एडीएम को दी गई चेतावनी को भी कथित रूप से अनदेखा कर दिया गया।
अब मामला धर्मांतरण से निकलकर भ्रष्टाचार, ज़मीन हड़पने और सत्ता के दुरुपयोग तक पहुंच गया है। जांच एजेंसियों का फोकस अब सिर्फ गिरोह पर नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की भूमिका पर भी है।
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