नीडोनॉमिक्स के सिद्धांतों पर आधारित नीडो-कृषि एक संतुलित कृषि ढांचा तैयार कर सकती है जो किसानों, उपभोक्ताओं और पर्यावरण की जरूरतों को प्राथमिकता देती है: प्रो. एम.एम. गोयल
समग्र समाचार सेवा
जयपुर, 23जून। “नीडोनॉमिक्स के सिद्धांतों पर आधारित नीडो-कृषि एक संतुलित कृषि ढांचा तैयार कर सकती है जो किसानों, उपभोक्ताओं और पर्यावरण की जरूरतों को प्राथमिकता देती है”।
ये शब्द तीन बार कुलपति, जिसमें जगन्नाथ विश्वविद्यालय जयपुर , एवं नीडोनोमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. मदन मोहन गोयल ने कहे । वह जगन्नाथ विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त होने पर प्रोफेसर श्रवण लाल शर्मा के सम्मान समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कृषि संकाय को संबोधित कर रहे थे। प्रोफेसर पी.एन. कल्ला डीन विज्ञान संकाय ने समारोह की अध्यक्षता की।प्रोफेसर श्रवण लाल शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
प्रो. गोयल ने बताया कि नीडोनॉमिक्स एक आर्थिक दर्शन है जो संसाधन आवंटन और भोजन सहित कृषि उत्पादों की खपत हेतु आवश्यकता-आधारित दृष्टिकोण की वकालत करता है ।
प्रो. गोयल ने कहा कि जब नीडोनॉमिक्स को कृषि में नीडो-कृषि के रूप में लागू किया जाता है, तो यह भारतीय कृषि के सामने आने वाली बहुमुखी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
पूर्व कुलपति एम.एम. गोयल.ने बताया कि लोगों और पर्यावरण की वास्तविक जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करके, नीडोनोमिक्स अधिक टिकाऊ, न्यायसंगत और लचीला कृषि क्षेत्र को जन्म दे सकता है।
प्रो. गोयल ने कहा कि नीडो-कृषि को अपनाने से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है, किसानों की आजीविका बढ़ सकती है और पर्यावरण की रक्षा हो सकती है, जो अंततः भारत में सतत विकास के व्यापक लक्ष्यों में योगदान कर सकती है।
प्रो. गोयल ने समझाया कि नीडो-एग्रीकल्चर की एक नई कहानी लिखने हेतु हमें स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्य-उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) हितधारक बनना चाहिए।
इस अवसर पर पूर्व कुलपति एम.एम. गोयल ने प्रो. श्रवण लाल शर्मा को अणु-गीता की प्रति एवं शॉल भेंट कर सम्मानित किया।
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