समग्र समाचार सेवा
पटना, 22नवंबर। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कैबिनेट की बैठक में विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करने का प्रस्ताव पारित किया. प्रस्ताव में कहा गया है कि बिहार के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार बिहार को जल्द विशेष राज्य का दर्जा दे.
पहली बार बिहार में जाति आधारित गणना का काम कराया गया है। जाति आधारित गणना के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति के आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति के लिये आरक्षण सीमा को 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की सीमा को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण की सीमा को 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण की सीमा को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है.
सामाजिक रूप से कमजोर तबकों के लिए आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है. सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण पूर्ववत लागू रहेगा. अर्थात इन सभी वर्गो के लिए कुल आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है.
क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा?
विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले राज्यों को निवेश को आकर्षित करने के लिए सीमा शुल्क, कॉर्पोरेट कर, आयकर और अन्य करों से छूट दी जाती है. विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले राज्यों को यह सुविधा प्रदान की जाती है कि वे चालू वित्त वर्ष में व्यय न किए गए धन को अगले वित्त वर्ष में व्यय कर सके.
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